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शीशे से जगमगाती इस मस्जिद को दुनिया में सबसे सुंदर मस्जिद माना जाता है। इस मस्जिद की सुंदरता में चार चांद लगाने में राजस्थान के मार्बल का भी अहम योगदान है। दरअसल, इसमें राजस्थान में पाया जाने वाला प्रसिद्ध मकराना का मार्बल लगवाया गया है। यही नहीं इसे बनाने वाले कारीगरों में मोरक्को, तुर्की, मलेशिया, चीन, ईरान, यूके, न्यूजीलैंड और ग्रीस के अलावा भारत के भी कारीगर शामिल थे। इस मस्जिद को बनाने में संगमरमर पत्थर, कोटा का मकराना, सोना, अर्द्ध कीमती पत्थरों, क्रिस्टल और चीनी मिट्टी की चीज़ों के अलावा प्राकृतिक सामग्री का भी प्रयोग किया गया है।


मकराना अपने संगमरमर की चमक के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है। इनकी भव्यता का पता इसी बात से लगाया जा सकता है कि इनका प्रयोग ताजमहल, हाजी अली दरगाह, सभी बिड़ला मंदिरों, विक्टोरिया मेमोरियल ऑफ कोलकाता, दिलवाड़ा के जैन मंदिर के निर्माण में किया गया है। भारत के ताजमहल में लगे इस संगमरमर की चमक से आकर्षित होकर विदेशी भी इसे भवन निर्माण में तेजी से अपनाने लगे हैं। यही कारण है कि खाड़ी देशों, सऊदी अरब, यूरोप, जर्मनी, फ्रांस, रूस, इटली तथा इंडोनेशिया आदि देशों में इसका निर्यात किया जाता है।



इस मस्जिद के निर्माण से जुड़े कुछ तथ्य
> अबू धाबी की शेख जायद मस्जिद दुनिया की 10 बड़ी मस्जिदों में शुमार है।
> इसे दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी मस्जिद कहा जाता है।
> इसे बनने में 12 साल लगे।
> दुनिया की 10 सबसे बड़ी मस्जिदों में शुमार शेख जायद ग्रैंड मस्जिद में 40000 लोग एक साथ नमाज अदा कर सकते हैं।
> यहां के सबसे बड़े हाल में एक बार में 7000 लोग एक साथ नमाज़ पढ़ते हैं।
> सउदी अरब की मक्का और मदीना मस्जिदों के बाद यह दुनिया की सबसे विशाल मस्जिद है।
> इसका नाम यूएई के संस्थापक और पहले राष्ट्रपति दिवंगत जायद बिन सुल्तान अल नाह्यान पर किया गया है।
> मस्जिद पूरी तरह वातानुकूलित है।



शेख जायद मस्जिद के अंदर का हिस्सा।

 
शेख जायद मस्जिद में मार्बल पर की गई सुंदर नक्काशी।

 
रात की रोशनी में जगमगाती शेख जायद मस्जिद।



नीचे 6000 वर्गफीट का फारसी कालीन। ऊपर 9 टन वजन का झूमर।

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