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जान-बूझकर लाखो हिन्दुओं को कोरोना से मरवा रही सरकार - Jaswant

नई दिल्ली : तेरही में भोजन किए भोले नागरिक, नवरात्रों के उत्सव में हज़ारों की भीड़ और हरिद्वार/वैष्णोदेवी में फँसे श्रद्धालुओं की कोई सुनवाई नहीं हो रही है । उनका टेस्ट नहीं किया जा रहा है। उनको बिना किसी जाँच के सीधा घर भेजा जा रहा है। प्रशासन सो क्यों रहा है? क्या हिंदुओं की जान की कोई क़ीमत नहीं?

३-४ दिन से देख रहा हूँ, पूरे देश भर में सिर्फ़ मुस्लिमों का टेस्ट किया जा रहा हैं, उन्हीं को क्वॉरंटीन पर भेज रहे हैं, उनका ही इलाज हो रहा है। मीडिया भी सिर्फ़ मुस्लिम मरीज़ों के बारे में ही बात कर रहा है।
इतना बड़ा देश है। क्या कहीं कोई हिंदू मरीज़ नहीं मिल रहा इनको?

पूरा मीडिया कवरेज एक धर्म विशेष को दिया जा रहा है। हमारे भाई लोग कोरोनो भगाने को गोमूत्र पियो उत्सव का आयोजन कर रहे हैं, उसको कोई नहीं दिखा रहा। अगर आप 'बड़े' वाले वैज्ञानिक हैं और मानते हैं कि गोमूत्र से इलाज नहीं होता बल्कि बीमार पड़ सकते हैं तो भैया 'नो पब्लिसिटी इज़ बेड पब्लिसिटी'। हमारे गोमूत्र उत्सव वाले भाइयों को रासुका लगाकर जेल में ही डाल दो।

और दिखाओ पूरे दिन इस ख़बर को। लेकिन नहीं, रासुका से हिट तो करेंगे 'धर्म विशेष' को। ज़रूर मीडिया ने पैसे खाये हुए हैं। ये मीडिया किसी के इशारे पर काम कर रहा है। यह सरकार और मीडिया का मुस्लिम तुष्टिकरण है। सारा पैसा और संसाधन जो बीमारी से लड़ने के काम आना चाहिए था, वो मुस्लिमों पर बहाया जा रहा है। सेक्युलर हिंदुस्तान में अब यह सब नहीं चलेगा। सभी धर्मों के लोगों की जाँच हों।

सभी श्रद्धालुओं के जल्द से जल्द टेस्ट हों और मीडिया इस मुद्दे को पूरे दिन कवर करके हमें अपडेट देती रहे कि इन्होंने क्या खाया, क्या पिया। नहायें या नहीं नहायें। अगर इनकी सात पुश्तों में कोई वैष्णोदेवी गया हो, वैष्णोदेवी डेयरी से दूध भी लिया हो, सबका टेस्ट हो और सबकी ख़बर २५ घंटे चलाई जाये। धर्म को परे रखकर सभी के टेस्ट हों और सभी के साथ एक पीड़ित मरीज़ की तरह व्यवहार किया जाना चाहिए।
- Jaswantसामाजिक कार्यकर्ता स्वतंत्र पत्रकार है

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