सदियों से Social distancing झेल रहा ट्रांसजेंडर समुदाय क्या अब ......
Corona virus के कारण 21 दिन के Lockdown का ऐलान किया गया है. ऐसे में लोग अपने-अपने घरों में हैं. Social distancing का पालन किया और कराया जा रहा है. बहुत से लोगों को इसके चलते नुक़सान भी उठाना पड़ रहा है. लेकिन सबसे ज़्यादा नुक़सान शायद इस देश की उस कम्युनिटी को होने वाला है, जिसने सदियों से Social distancing को झेला है. हम बात कर रहे हैं इस देश में रहने वाली ट्रांसजेंडर कम्युनिटी की.
पहले से ही हाशिए पर ज़िंदगी गुज़ार रही देश की ट्रांसजेंडर कम्युनिटी को Lockdown भयंकर गरीबी और बीमारी के गर्त में ले जा सकता है, क्योंकि ये समुदाय सेक्स और भीख के ज़रिये जीविका कमाने को मजबूर है.
Anindya Hajra एक ट्रांसजेंडर महिला हैं और Pratyay Gender Trust के साथ ट्रांसजेंडर कम्युनिटी के आजीविका के मुद्दे पर काम करती हैं. उन्होंने Deccan Herald को एक इंटरव्यू में बताया कि भारत के अनुमानित क़रीब 2 मिलियन ट्रांसजेंडर लोग इस फ़ैसले से सबसे ज़्यादा प्रभावित होंगे, क्योंकि ज़्यादातर लोग इसमें सड़क पर ही काम करके अपनी जीविका चलाते हैं. लाखों दिहाड़ी मज़दूरों की तरह इनके पास भी न तो घर का विकल्प है और न ही ऑनलाइन माध्यमों के ज़रिये सामाजिक दूरी बनाने का.
हालांकि, 2014 में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फ़ैसले में कहा था कि ट्रांसजेंडर्स को समान अधिकार प्राप्त हैं, फिर भी समुदाय को परिवार के सपोर्ट, नौकरी, शिक्षा और यहां तक कि उनके खिलाफ़ पूर्वाग्रहों के कारण स्वास्थ्य सेवा से वंचित किया जाता है.
यही वजह है कि अधिकांश ट्रांसवुमन, जिन्हें ‘हिंजड़ा’ कहा जाता है, वे व्यस्त चौराहों और ट्रेनों में भीख मांगती हैं या शादी जैसे सामाजिक कार्यक्रमों में परफ़ॉर्म करके या फिर सेक्स बेचकर अपना गुज़ारा करती हैं. न ही इनके पास बचत है और न ही सामाजिक सुरक्षा लाभ, ऐसे में घटती खाद्य आपूर्ति से निपटना बड़ी चुनौती है.
बता दें, कई राज्य सरकारों ने इस कम्युनिटी के लिए राहत उपायों की घोषणा की है. हालांकि, केवल केरल सरकार ने अब तक राज्य में ट्रांसजेंडर्स को अस्थायी आवास और भोजन की सुविधा आवंटित की है.
समुदाय में ज़्यादतर के पास सरकारी पहचान पत्र, बैंक खाता और यहां तक कि स्वास्थ्य बीमा भी नहीं है. ऐसे में इन्हें किसी तरह के लाभ मिलने की संभावना भी कम ही है. 2011 की जनगणना के अनुसार, देश में 487,803 लाख से अधिक ट्रांसजेंडर रहते हैं. National Center for Transgender Equality (NCTE) के अनुसार, दूसरों की तुलना में ट्रांस वयस्कों के स्वास्थ्य के खराब होने की दर भी अधिक है. 5 में से 1 ट्रांसजेंडर वयस्क में मधुमेह, गठिया या अस्थमा जैसी बीमारियां होती हैं.
Corona virus के कारण अस्पतालों पर मरीज़ों का दबाव अधिक है. ऐसे में इस समुदाय के लिए हार्मोन थेरेपी भी मुश्क़िल हो गई है. जो न केवल शारीरिक, बल्कि मनोवैज्ञानिक नुक़सान भी पहुंचाता है. Telangana Hijra Intersex Transgender Samiti के सह-संस्थापक Vyjayanti Vasanta Mogli ने The News Minute को बताया, ‘हमें वैसे भी एक बोझ के रूप में देखा जाता है, जब हम राज्य से Gender Affirming Surgeries को सुलभ बनाने के लिए कहते हैं और इसे हमारा अधिकार मानते हैं.
अब, हेल्थकेयर वर्कर्स पहले से ही बहुत ज़्यादा परेशान हैं, अगर कोई ट्रांसजेंडर व्यक्ति सर्जरी करवाना चाहता है तो इसे और नीचे देखा जाएगा और ये उनकी प्राथमिकता सूची में नहीं रहेगा.’ एक और बात है, HIV और यौनकर्मियों के बीच एक मज़बूत संबंध है और बहुत सारे ट्रांसजेंडर इस Corona virus से ग्रस्त हैं और HIV positive trans व्यक्तियों को Lockdown के बीच जीवन रक्षक दवाओं और उपचार तक पहुंच मुश्किल है. अब तक, इन लोगों के लिए जीवित रहने का एकमात्र तरीका उनकी बचत है, जो इस पूरी अवधि के लिए पर्याप्त नहीं है.
-Abhay Sinha
Corona virus के कारण 21 दिन के Lockdown का ऐलान किया गया है. ऐसे में लोग अपने-अपने घरों में हैं. Social distancing का पालन किया और कराया जा रहा है. बहुत से लोगों को इसके चलते नुक़सान भी उठाना पड़ रहा है. लेकिन सबसे ज़्यादा नुक़सान शायद इस देश की उस कम्युनिटी को होने वाला है, जिसने सदियों से Social distancing को झेला है. हम बात कर रहे हैं इस देश में रहने वाली ट्रांसजेंडर कम्युनिटी की.
Anindya Hajra एक ट्रांसजेंडर महिला हैं और Pratyay Gender Trust के साथ ट्रांसजेंडर कम्युनिटी के आजीविका के मुद्दे पर काम करती हैं. उन्होंने Deccan Herald को एक इंटरव्यू में बताया कि भारत के अनुमानित क़रीब 2 मिलियन ट्रांसजेंडर लोग इस फ़ैसले से सबसे ज़्यादा प्रभावित होंगे, क्योंकि ज़्यादातर लोग इसमें सड़क पर ही काम करके अपनी जीविका चलाते हैं. लाखों दिहाड़ी मज़दूरों की तरह इनके पास भी न तो घर का विकल्प है और न ही ऑनलाइन माध्यमों के ज़रिये सामाजिक दूरी बनाने का.
यही वजह है कि अधिकांश ट्रांसवुमन, जिन्हें ‘हिंजड़ा’ कहा जाता है, वे व्यस्त चौराहों और ट्रेनों में भीख मांगती हैं या शादी जैसे सामाजिक कार्यक्रमों में परफ़ॉर्म करके या फिर सेक्स बेचकर अपना गुज़ारा करती हैं. न ही इनके पास बचत है और न ही सामाजिक सुरक्षा लाभ, ऐसे में घटती खाद्य आपूर्ति से निपटना बड़ी चुनौती है.
बता दें, कई राज्य सरकारों ने इस कम्युनिटी के लिए राहत उपायों की घोषणा की है. हालांकि, केवल केरल सरकार ने अब तक राज्य में ट्रांसजेंडर्स को अस्थायी आवास और भोजन की सुविधा आवंटित की है.
Corona virus के कारण अस्पतालों पर मरीज़ों का दबाव अधिक है. ऐसे में इस समुदाय के लिए हार्मोन थेरेपी भी मुश्क़िल हो गई है. जो न केवल शारीरिक, बल्कि मनोवैज्ञानिक नुक़सान भी पहुंचाता है. Telangana Hijra Intersex Transgender Samiti के सह-संस्थापक Vyjayanti Vasanta Mogli ने The News Minute को बताया, ‘हमें वैसे भी एक बोझ के रूप में देखा जाता है, जब हम राज्य से Gender Affirming Surgeries को सुलभ बनाने के लिए कहते हैं और इसे हमारा अधिकार मानते हैं.
-Abhay Sinha