Type Here to Get Search Results !

Click

मीडिया तो अब मीडिया ही नही रही । आम जनता में भी बौनों की संख्या बढ़ रही है

अजीत साही ने अमेरिका से एक खबर भेजी है । उनकी खबर कल सोसल मीडिया पर घूम रही थी । मैं उसे संक्षिप्त कर साझा कर रहा हूँ , अपनी एक संक्षिप्त टिप्पणी के साथ -  अमेरिका में सत्ता पक्ष को चुनौती देने की यहाँ से ( हिंदुस्तान) अधिक आज़ादी है? कल वाशिंगटन डीसी में ट्रंप की रोज़ाना की प्रेस कांफ्रेंस में सीएनएन के पत्रकार जिम अकोस्टा ने ट्रंप को सीधा चैलेंज कर डाला."देश के उन नागरिकों से आप क्या कहेंगे जो इस बात पर आप से नाराज़ हैं कि आपने उनसे लगातार झूठ बोला और कहा कि कोरोनावायरस से कोई ख़तरा नहीं है?" ट्रंप की शक्ल ग़ुस्से से लाल हो गई. लेकिन अकोस्टा परवाह किए बग़ैर हाथ में लिए काग़ज़ से पढ़ पढ़ कर बताने लगे कि फ़लाँ तारीख़ को आपने कहा का हालात क़ाबू में हैं, अगले दिन कहा कि जल्द ही एक भी केस नहीं रहेगा, वग़ैरह. जवाब में ट्रंप ने अकोस्टा और सीएनएन को जम कर गाली दी.लेकिन चाह कर भी ट्रंप अकोस्टा और सीएनएन को अपनी प्रेस कांफ्रेंस में आने से नहीं रोक सकते हैं.


क़रीब डेढ़ साल पहले ट्रंप ने अकोस्टा से नाराज़ होकर उनका प्रेस पास कैंसिल कर दिया था. अकोस्टा ने फ़ौरन अदालत में दस्तक दे दी थी. पहली सुनवाई में जज ने ट्रंप सरकार के वकीलों को फटकार लगाई थी. और तो और पूरी पत्रकार जमात अकोस्टा और सीएनएन के साथ खड़ी हो गई थी. इसमें फ़ॉक्स न्यूज़ भी था, जो ट्रंप का भक्त है .अक्सर शाम को हम सपरिवार घूमने चले जाते हैं. व्हाइट हाउस के बाहर आपको आए दिन ट्रंप विरोधी ट्रंप को गाली देते हुए मिलेंगे. एक व्यक्ति तो पुलिस के सामने लाउडस्पीकर लगा व्हाइट हाउस के जंगले से झांक कर ट्रंप को गंदी से गंदी गाली देता रहता है. वो वहाँ महीनों रहता है .क्या भारत में ये संभव है?


मैं उपरोक्त खबर को आज कोरोना की महामारी के बीच बहुत महत्वपूर्ण मानता हूँ क्योंकि राष्ट्रपति के न चाहते हुये भी न्यायालय के आदेश के कारण पत्रकार प्रेस कॉन्फ़्रेंस में आ सकता है और दूसरा वह राष्ट्रपति से  देश को जानने लायक जानकारी पूंछ सकता है । तीसरा राष्ट्रपति भवन ( ह्वाइट हाउस ) के आसपास राष्ट्रपति को गाली देते लोग घूमते रहते है ।  उललेखनीय है कि अमेरिका जैसे धनी देश में जब तीन हजार से ज्यादा लोग मर गये हो और दो लाख लोग के लगभग कोरोना पाजटिव हो तो कडे सवाल पूंछे जाने चाहिये । साही जी ने पूंछा है क्या भारत में यह सम्भव है , मेरा उत्तर नकारात्मक है । यहां हिंदुस्तान की न्यायपालिका की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिंह लग रहे है । कुछ गिने चुने पत्रकारों को छोड़ मीडिया तो अब मीडिया ही नही रही । आम जनता में भी बौनों की संख्या बढ़ रही है ।
Shailendra Pratap Singh Singh

 

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad

Hollywood Movies