मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिराने और अपनी सरकार बनाने के चक्कर में बीजेपी ने देश की 130 करोड़ जनता की जान की बाज़ी लगा दी
बात कहने और लिखने में थोड़ी अटपटी जरूर लग रही है, लेकिन यदि देश के पिछले 15 दिनों के घटनाक्रम पर नज़र डालें तो आप पाएंगे की जब चीन, इटली और अमेरिका कोरोना से निपटने में लगे हुए थे और पूरी दुनिया कोरोना के संक्रमण से बचने के उपाय ढूंढ रही थी, तब भारतीय जनता पार्टी के मध्यप्रदेश और दिल्ली के नेता मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार के 6 मंत्री जिसमें स्वास्थ्य मंत्री भी शामिल हैं, समेत 22 विधायकों को बैंगलोर के एक होटल में कैद कर मध्यप्रदेश की सरकार को अल्पमत में लाने की साज़िश रच रहे थे।
बात कहने और लिखने में थोड़ी अटपटी जरूर लग रही है, लेकिन यदि देश के पिछले 15 दिनों के घटनाक्रम पर नज़र डालें तो आप पाएंगे की जब चीन, इटली और अमेरिका कोरोना से निपटने में लगे हुए थे और पूरी दुनिया कोरोना के संक्रमण से बचने के उपाय ढूंढ रही थी, तब भारतीय जनता पार्टी के मध्यप्रदेश और दिल्ली के नेता मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार के 6 मंत्री जिसमें स्वास्थ्य मंत्री भी शामिल हैं, समेत 22 विधायकों को बैंगलोर के एक होटल में कैद कर मध्यप्रदेश की सरकार को अल्पमत में लाने की साज़िश रच रहे थे।
दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह कोरोना को लेकर नहीं बल्कि मध्य प्रदेश में सरकार बनाने को लेकर लगातार बैठकें कर रहे थे, दूसरी तरफ सिंधिया को बीजेपी में लाने का इवेंट और राज्यसभा का टिकट देने का कार्यक्रम भी तब ही चल रहा था जब कोरोना से चीन में लगभग 10000 और इटली में लगभग 4500 मौतें हो चुकी थी।
पूरी दुनिया का मीडिया जब कोरोना की तबाही की ख़बरें दिखा रहा था, बचाव के उपाय बता रहा था तब भारतीय मीडिया मध्यप्रदेश की सरकार को गिराने में अमित शाह को चाणक्य के समकक्ष और विधायकों की खरीद-फरोख्त को मोदी का मास्टर स्ट्रोक बताने में व्यस्त था। शायद मीडिया को यही निर्देश रहे होंगे वर्ना यदि मीडिया कोरोना पर चर्चा करने लगता तो भी बैंगलोर में विधायकों को रखना मुश्किल हो जाता और कमलनाथ सरकार गिराने का मिशन पूरा नहीं हो पाता।
पूरी दुनिया का मीडिया जब कोरोना की तबाही की ख़बरें दिखा रहा था, बचाव के उपाय बता रहा था तब भारतीय मीडिया मध्यप्रदेश की सरकार को गिराने में अमित शाह को चाणक्य के समकक्ष और विधायकों की खरीद-फरोख्त को मोदी का मास्टर स्ट्रोक बताने में व्यस्त था। शायद मीडिया को यही निर्देश रहे होंगे वर्ना यदि मीडिया कोरोना पर चर्चा करने लगता तो भी बैंगलोर में विधायकों को रखना मुश्किल हो जाता और कमलनाथ सरकार गिराने का मिशन पूरा नहीं हो पाता।
एक तरफ विधायकों और मंत्रियों को कैद कर बंगलौर से आने नहीं दिया गया और दूसरी तरफ मध्यप्रदेश के राज्यपाल से फ्लोर टेस्ट कराने का दबाव बनवाया गया। इन सबके बीच कोरोना पर मोदी जी का कोई ध्यान नहीं गया और बीजेपी जानबूझकर कोरोना को हल्के में लेती रही ताकि सरकार गिराने और बनाने में कोरोना के अहतियात और गंभीरता की वजह से कोई खलल नहीं पड़े।
दिनांक 16 मार्च को मध्य प्रदेश विधानसभा का सत्र आहूत किया गया जिसमें कोरोना से सावधानी के मद्देनजर सभी विधायकों के लिए मास्क और हैण्ड सेनीटाईजर की भी व्यवस्था की गयी। कांग्रेस विधायकों ने जहाँ गंभीरता दिखाई और मुख्यमंत्री एवं विधानसभा अध्यक्ष समेत सभी विधायकों ने मास्क पहना, अपने हाथ सेनीटाईज किये, वहीं बीजेपी विधायकों ने इसका मजाक उड़ाया और मास्क और हैण्ड सेनीटाईजर का उपयोग न करते हुए कोरोना से बचाव के किसी भी नियम का पालन नहीं किया। कारण फिर वही था कि यदि कोरोना को गंभीर मानेंगे तो सरकार गिराने का मिशन रोकना पड़ेगा।
दिनांक 16 मार्च को मध्य प्रदेश विधानसभा का सत्र आहूत किया गया जिसमें कोरोना से सावधानी के मद्देनजर सभी विधायकों के लिए मास्क और हैण्ड सेनीटाईजर की भी व्यवस्था की गयी। कांग्रेस विधायकों ने जहाँ गंभीरता दिखाई और मुख्यमंत्री एवं विधानसभा अध्यक्ष समेत सभी विधायकों ने मास्क पहना, अपने हाथ सेनीटाईज किये, वहीं बीजेपी विधायकों ने इसका मजाक उड़ाया और मास्क और हैण्ड सेनीटाईजर का उपयोग न करते हुए कोरोना से बचाव के किसी भी नियम का पालन नहीं किया। कारण फिर वही था कि यदि कोरोना को गंभीर मानेंगे तो सरकार गिराने का मिशन रोकना पड़ेगा।
16 मार्च को जब मध्यप्रदेश की विधानसभा कोरोना के मद्देनजर एक सप्ताह के लिए स्थगित की गयी तो बीजेपी नेताओं ने इसका विरोध किया और बीजेपी विधानसभा चालू कराने व् फ्लोर टेस्ट कराने के लिए सुप्रीमकोर्ट चली गयी। 16 मार्च को मध्यप्रदेश में एक भी कोरोना पॉजिटिव मरीज नहीं था और पूरे देश में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या केवल 9 थी। यदि 16 मार्च को ही प्रधानमंत्री मोदी जनता कर्फ्यू की घोषणा या फिर संपूर्ण लॉकडाउन का ऐलान कर देते तो शायद देश में एक भी मौत नहीं होती और कोरोना का आंकड़ा भी इस रफ़्तार से नहीं बढ़ता, पर करते कैसे, अभी मध्यप्रदेश में बीजेपी की सरकार बनाने का मिशन पूरा कहाँ हुआ था।
बीजेपी द्वारा विधायकों की खरीद-फरोख्त से खिन्न होकर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 20 मार्च को मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया। कमलनाथ के इस्तीफे के तत्काल बाद भी पूरे देश में कर्फ्यू या लॉकडाउन की घोषणा नहीं की गयी क्योंकि अभी बागी विधायकों को बैंगलोर से भोपाल लाना था, बीजेपी विधायक दल की बैठक करना था, बीजेपी के मुख्यमंत्री का चयन करना था, मुख्यमंत्री का शपथग्रहण करना था। इन सभी कामों के पहले यदि कोरोना को गंभीर बताते हुए संपूर्ण लॉकडाउन की घोषणा कर दी जाती तो देश की 130 करोड़ जनता की जिन्दगी का खतरा तो टल जाता, लेकिन फिर बीजेपी की सरकार कैसे बनती..? नतीजतन 22 मार्च को केवल एक दिन का जनता कर्फ्यू लगाया गया और इधर मध्य प्रदेश में बीजेपी सरकार बनाने की प्रक्रिया पूरी की गयी।
बीजेपी द्वारा विधायकों की खरीद-फरोख्त से खिन्न होकर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 20 मार्च को मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया। कमलनाथ के इस्तीफे के तत्काल बाद भी पूरे देश में कर्फ्यू या लॉकडाउन की घोषणा नहीं की गयी क्योंकि अभी बागी विधायकों को बैंगलोर से भोपाल लाना था, बीजेपी विधायक दल की बैठक करना था, बीजेपी के मुख्यमंत्री का चयन करना था, मुख्यमंत्री का शपथग्रहण करना था। इन सभी कामों के पहले यदि कोरोना को गंभीर बताते हुए संपूर्ण लॉकडाउन की घोषणा कर दी जाती तो देश की 130 करोड़ जनता की जिन्दगी का खतरा तो टल जाता, लेकिन फिर बीजेपी की सरकार कैसे बनती..? नतीजतन 22 मार्च को केवल एक दिन का जनता कर्फ्यू लगाया गया और इधर मध्य प्रदेश में बीजेपी सरकार बनाने की प्रक्रिया पूरी की गयी।
जैसे ही बीजेपी की सरकार बनाने और शिवराज को मुख्यमंत्री बनाने की प्रक्रिया पूरी हुयी, तत्काल पूरे देश में 21 दिन के लॉक डाउन की घोषणा कर दी गयी, भोपाल-जबलपुर समेत कई जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया, ट्रेनें रद्द कर दी गयी, उड़ानें बंद कर दी गयी, बसों का आवागमन पूरी तरह से रोंक दिया गया, लोगों के घरों से निकलने पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गयी, सड़क पर निकले लोगों पर लाठी चार्ज किया जाने लगा....क्योंकि अब मध्यप्रदेश में बीजेपी की सरकार बनाने का मिशन पूरा हो चुका था।
कहते हैं किसी बीमारी, महामारी या आपदा के समय राजनीति की बात नहीं करना चाहिए, लेकिन बीजेपी ने निर्लज्जता की सारी सीमायें लांघते हुए केवल अपनी सत्ता हवस की खातिर देश के 130 करोड़ लोगों की जान की बाज़ी लगा दी। केवल मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनाने के मिशन को पूरा करने के लिए दिनांक 16 मार्च से 24 मार्च तक देश में संपूर्ण लॉकडाउन का निर्णय नहीं लिया गया और हजारों लोग इस गंभीर वायरस की चपेट में आ गए। इस षडयंत्र के लिए भारत की जनता और कुदरत बीजेपी को कभी माफ़ नहीं करेगी।
-मनमोहन गुप्ता Social Worker
कहते हैं किसी बीमारी, महामारी या आपदा के समय राजनीति की बात नहीं करना चाहिए, लेकिन बीजेपी ने निर्लज्जता की सारी सीमायें लांघते हुए केवल अपनी सत्ता हवस की खातिर देश के 130 करोड़ लोगों की जान की बाज़ी लगा दी। केवल मध्य प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनाने के मिशन को पूरा करने के लिए दिनांक 16 मार्च से 24 मार्च तक देश में संपूर्ण लॉकडाउन का निर्णय नहीं लिया गया और हजारों लोग इस गंभीर वायरस की चपेट में आ गए। इस षडयंत्र के लिए भारत की जनता और कुदरत बीजेपी को कभी माफ़ नहीं करेगी।
-मनमोहन गुप्ता Social Worker