इस कठोर समय में आख़िर मध्यम वर्गीय कारोबारी को सरकार से कोई राहत क्यों नहीं ?
सरकार लेबर क्लास लोगों, दिहाड़ी मज़दूर और तमाम उन लोगों के लिए बेहद ही अच्छा काम कर रही है । जिनके घर में शाम का चूला दिन की दिहाड़ी से जलता है । में इसका तहें दिल से अभिनंदन करता हु ।
लेकिन सरकार लगातार एक बात और कह रही है की जो कारोबारी है । वो अपने स्टाफ़ और जो भी काम करने वाले वियक्ति है, लॉक्डाउन के भले ही वो काम नहीं कर पारहे लेकिन जितने दिन का लॉक्डाउन हो उतने दिनो का उनके बेतन से कतोती ना की जाए, यथातबत पूरा पैसा दिया जाना चाहिए ।
बात तो सही है सरकार की भी ,में पूरी तरह सहमत भी हु वो लोग हमारे भरोसे ही है । हमारी ज़िम्मेदारी भी है,और बड़े करोबरियो के लिए बड़ी बात भी नहीं है ।
लेकिन महोदय हम बात कर रहे है यहाँ छोटे कारोबारी की, जैसे फूटकर के दुकानदार, छोटे ठेकेदार और वो सब लोग जिनके महीने के स्टाफ़ का ख़र्चा निकालकर जितनी उनकी बचत होती है । उस से ही उनके घर का भी चूला जलता है।
सरकार के बयानो से इस प्रकार के करोबरियो के दिमाग़ की टेन्शन नहीं बड़ रही किया ? उनका स्टाफ़ यह कहकर अपनी पूरी तनखा नहीं माँगेगा की सरकार ने कहा है, नहीं दोगे तो हम केस करेंगे, ऐसी स्तिथि में ऐसे छोटे कारोबारी का गुज़ारा चलना खुद मुश्किल है बाद में जब लॉक्डाउन ख़त्म होगा तो किया वो अपना घर बार बेचकर पैसे देगा ?
तो ऐसे में सरकार का उनके प्रति किया कुछ फ़र्ज़ नहीं बनता है?
-सुगंध मिश्रा
सरकार लेबर क्लास लोगों, दिहाड़ी मज़दूर और तमाम उन लोगों के लिए बेहद ही अच्छा काम कर रही है । जिनके घर में शाम का चूला दिन की दिहाड़ी से जलता है । में इसका तहें दिल से अभिनंदन करता हु ।
बात तो सही है सरकार की भी ,में पूरी तरह सहमत भी हु वो लोग हमारे भरोसे ही है । हमारी ज़िम्मेदारी भी है,और बड़े करोबरियो के लिए बड़ी बात भी नहीं है ।
लेकिन महोदय हम बात कर रहे है यहाँ छोटे कारोबारी की, जैसे फूटकर के दुकानदार, छोटे ठेकेदार और वो सब लोग जिनके महीने के स्टाफ़ का ख़र्चा निकालकर जितनी उनकी बचत होती है । उस से ही उनके घर का भी चूला जलता है।
तो ऐसे में सरकार का उनके प्रति किया कुछ फ़र्ज़ नहीं बनता है?
-सुगंध मिश्रा