जहां लॉकडाउन नहीं वहां हालात काबू में
कोरोना के वैश्विक आंकड़े और घटनाक्रम ध्यान खींचने वाले हैं। जापान उन देशों मे है जहां कोरोना सबसे पहले पहुँचा और आजतक मात्र 4000 केस हैं जबकि किसी तरह का लॉक डाउन आजतक नहीं, सिंजो आबे ने स्प्ष्ट कहा हम दुनिया की तरह आर्थिक गतिविधि बन्द नहीं करेंगे। साउथ कोरिया मे भी सब कंट्रोल है। ईरान मे जो अचानक केस बढ़े थे नए केस आना लगभग बंद और रिकवरी दर काफी तेज है। कनाडा, दक्षिणी अमेरिकी देशों मे स्थिति काबू मे है। ऑस्ट्रेलिया रसिया मे ज्यादा प्रभाव नहीं। अफ्रीकी देशों मे नगण्य केस हैं।
कोरोना के वैश्विक आंकड़े और घटनाक्रम ध्यान खींचने वाले हैं। जापान उन देशों मे है जहां कोरोना सबसे पहले पहुँचा और आजतक मात्र 4000 केस हैं जबकि किसी तरह का लॉक डाउन आजतक नहीं, सिंजो आबे ने स्प्ष्ट कहा हम दुनिया की तरह आर्थिक गतिविधि बन्द नहीं करेंगे। साउथ कोरिया मे भी सब कंट्रोल है। ईरान मे जो अचानक केस बढ़े थे नए केस आना लगभग बंद और रिकवरी दर काफी तेज है। कनाडा, दक्षिणी अमेरिकी देशों मे स्थिति काबू मे है। ऑस्ट्रेलिया रसिया मे ज्यादा प्रभाव नहीं। अफ्रीकी देशों मे नगण्य केस हैं।
हमारी नई शब्दावली अनुसार ज्यादातर जमाती देशों अरब अमीरात, अफगानिस्तान, कजाकिस्तान आदि आदि मे भी नगण्य प्रभाव है। चाइना मे अब कोई ना के बराबर केस दर्ज हो रहे हैं जबकि इतनी बड़ी आबादी है रुक कैसे रहा बिना लॉक डाउन। सबसे ताकतवर अमेरिका यूरोप मे सबसे तेज वृद्धि दिख रही!!
पाकिस्तान मे सम्पूर्ण लॉक डाउन न होने के बाद भी स्थिति तुलनात्मक बेहतर दिख रही जबकि भारत मे लॉक डाउन के बाद ही जबरदस्त पेनिक और वृद्धि नज़र आ रही है। जिन दवाओं को अप्रूवल नहीं उनके इस्तेमाल को US FDA जैसी शक्त संस्था इजाज़त दे रही है। इबोला, स्वाइन फ़्लू, एड्स आदि की दवाओं का विश्व मे गिनीपिग की तरह इंसानों पर इस्तेमाल चौंका देने वाला है बिना अप्रूवल क्लिनिकल पर्याप्त एविडेंस क्लोरो-क्वीन गेम चेंजर बनी हुई है।
WHO ही समझा सकता ये चल क्या रहा.. सरकारें बड़ी बड़ी रिसर्च संस्थाएं सोच ने समझने की स्थिति मे नहीं आम इंसान की क्या बिसात है सबकुछ सिर घुमा देने वाला, सुरक्षित रहते सरकारी आदेशों का पालन करते बस ये संतोष कर सकते की रुकेगा रुकेगा और आम इंसान, गरीब मजदूर जो बीमारी या आर्थिक बदहाली से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं उनकी जिंदगी पटरी पर आएगी जल्द से जल्द..न.रुका।