आरएसएस को भारत के 85 प्रतिशत बहुजन अपना दुश्मन मानने लगे है. आज भारत में उसी की सत्ता है. आरएसएस वर्ण व्यवस्था मानता है. वर्ण व्यवस्था को मानता है जिसमे असमानता, अस्पृश्यता पायी जाती है. एससी, एसटी अछूत माने जाते है और ओबीसी शुद्र. कई संगठन आरएसएस के विरोध में काम करते है अनेक संगठनो का भी मानना है की, आरएसएस असमानता, अस्पृश्यता, सतीप्रथा, इन सबको मानता है और उनका संविधान मनुस्मृति है. आईये देखते है उच्च शिक्षित काव्याह यादव के क्या विचार है.
अब तक का बीजेपी का सबसे अच्छा काम
CM_आवास_का_शुद्धिकरण
अब शूद्र को शुद्र होने का एहसास होगा न कि हिन्दू होने का गुलाम को गुलामी का एहसास करा दीजिये वो गुलामी की बेड़िया खुद तोड़कर फेंक देगा। आज तारीख 29/03/2017 है। मान लीजिए अपने शेर लोग 10 लाख है सोशल मीडिया पर ये एक दिन में रोज एक आदमी को जगाये तो रोज 10 लाख आदमी जागेगा मतलब महीने में 3 करोड़
24 महीने में 72 करोड़
12 करोड़ वोट पर केंद्र सरकार बन जाती है
1-कोई भगवान् नहीं है बल्कि आप खुद है।
आदर्श हमारे फूले, साहू, मंडलजी, पेरियार, रामास्वामी, डॉ राम स्वरुप वर्मा, ललई सिंह यादव और आंबेडकर है।
2-अपना दुश्मन मुसलमान नहीं #RSS है।
3--हम लोग हिन्दू नहीं बल्कि शुद्र है।
अगली सरकार = शूद्र सरकार
आवास का शुद्धि करण
तो वोट का शुद्धिकरण क्यों नही ???
(डिस्क्लेमर - काव्याह यादव के निजी विचार सोशल डायरीसे कोई सरोकार नहीं)