फिलहाल हम यहाँ हिमांशु कुमार की टिपप्णी प्रकाशित कर रहें हैं।
हिमांशु कुमार एक जाने -माने सामाजिक कार्यकर्ता हैं जो आदिवासियों की बदहाल ज़िन्दगी की बेहतरी के काफी समय से काम कर रहें हैं।
हिमांशु कुमार से अपनी फेसबुक वॉल पर लिखा है-
सुप्रीम कोर्ट मेरी गिरफ्तारी का आदेश दे,
मैं सिनेमा हाल में राष्ट्रगान में खड़ा नहीं होऊंगा,
मैं अपनी देशभक्ति का तरीका खुद तय करूंगा,
इस देश में हजारों आदिवासी मारे जाते हैं,
जो लोग कोई आवाज़ नहीं उठाते,
वो लोग राष्ट्रगान में खड़े होकर राष्ट्रभक्त बन जायेंगे ?
दलितों का सामूहिक जनसंहार होता है,
अदालतें आरोपियों को बरी कर देती हैं,
दलितों की मौतों पर ज़रा भी चिंतित ना होने वाले लोग सिनेमा हाल में 52 सेकेण्ड खड़े होकर देशभक्त बन जायेंगे ?
मैं नकली देशभक्ति के इस शार्टकट का बहिष्कार करता हूँ,
देशप्रेम असली वाला चाहिए,
ऐसा देशप्रेम जो अपने देशवासियों के लिए हो,
देशप्रेम वह जो अपने देश की हवा पानी नदियों समुन्द्रों की रक्षा के लिए हो,
यह नहीं कि अम्बानी अदानी जब देश की हवा पानी नदी समुन्द्र को ज़हरीला बनाएं तो आप उनके तलवे चाटें,
और जाकर सिनेमा हाल में देशप्रेमी बन जाएँ,
मैं उस गोत्र का हूँ जिस गोत्र के लोग इस देश के जंगलों, पहाड़ों, सागर तटों, को बचाने के लिए लाठियां खा रहे हैं, जेल जा रहे हैं, गोली खा रहे हैं और जिनके गुप्तांगों में थाने के भीतर पत्थर भरे जा रहे हैं,
सुप्रीम कोर्ट को शायद आदिवासी महिलाओं के गुप्तांगों में पत्थर भरने वाले देशद्रोही ना लगते हों,
हमें लगते हैं,
हम इस देश की मेहनतकश जनता, मेहनतकश जातियों, औरतों अल्पसंख्यकों को देश मानते हैं,
हम इन सब से बेइन्तहा प्रेम करते हैं,
जो लोग आदिवासियों, दलितों और अल्पसंख्यकों के मरने पर भी डेढ़ हज़ार का पीज़ा और पॉप कार्न चबाते हुए मूंह बिचका देते हैं,
उन्हें दिखावे के आरामतलब राष्ट्रप्रेम के लिए सिनेमा हाल में खड़े होने की ज़रुरत होगी,
हमरे लिये राष्ट्र, सिनेमा के अंदर नहीं उसके बाहर है,
समझे सुप्रीम कोर्ट के जज साहब ?
सुप्रीम कोर्ट को गुंडे अमित शाह की ताली बजाने वाली संस्था मत बनाओ,
हम जैसे असली देशभक्त ज़िन्दा हैं अभी,