रात के गश्त मे पुलिस के डंडों का प्रसाद खाने की लोगों को एक आदत सी हो गई है। ऐसे मे एक प्रशासनिक अधिकारी अचानक थंड मे सिकुडे नागरिकों को उलन की गरमा गरम शाल चुपचाप उडाकर बिना श्रेय लिए चलदे, तो ? कैसे लगता है।
जहां देश के कलेक्टर सुशासन, प्रशासन का गाडा हांकते हांकते शासक की भूमिका निभाते समय अपने अंदर के सामान्य व्यक्ती को ही भूल जाते हैं। वंहा सूशासन के साथ साथ मानवता को सजग रखना एक अव्हान होता है। और यह महान कार्य महाराष्ट्र के जिले नादेंड के कलेक्टर काकानी जी ने संभव कर दिखाया है, यदि देश के सारे कलेक्टर इस तरह कार्य करने लगे तो मेरा देश महान देश से संसार का सबसे महान देश बन जाएगा।
नांदेड के जिलाधिकारी मंगलवार रात को अचानक लाल बत्ती की गाडी लिए रास्ते पर चल पड़े और फूटपाथ पर ठण्ड में सिकुड़ते हुए अनाथो को गरम शाल उढाई, जिन लोगो को शाले उढाई गयी उन लोगो ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा की जिला के आला अधिकारी कभी उनका ख़याल करेंगे. जब उबदार शाल उढाई गयी उस वक्त बेसहारा गरीबो के दिलो से लाखो दुआए निकली होगी आप बखूबी जानते है. ऐसा जिलाधिकारी हर जिले को मिले हमारी यही मनोकामना है. नांदेड के जिलाधिकारी सुरेश काकाणी को हमारा सलाम.
-संपादक