विशेष संवाददाता
हर तरफ सबसे अहम् हिन्दुओ के त्यौहार की तयारिया जोरो-शोर से शुरू है. लोगो की भीड़ खरीदारी करने में व्यस्त है ऐसे में मजदूरो और गरीबो का दिवाला निकाल रहा है कल्याण मुंबई नाम का जुआ. सेनगुप्ता कमिटी की रिपोर्ट के अनुसार भारत में गरीबी रेखा के निचे जीवन यापन करने वाले लोग 20 प्रतिशत है, प्रतिदिन 20 रुपये कमाने वालो का प्रतिशत करीब 25 प्रतिशत है, और दो वक्त की रोटी मुश्किल से कमाने वालो की संख्या भी कम नहीं है. रिपोर्ट के अनुसार भारत के करीब 65 प्रतिशत लोग गरीबी में जीवन यापन करते है. ऐसे में दिवाली का त्यौहार हर कोई मनाना चाहेगा क्योंकि यहत्यौहार हर रोज तो नहीं आता. कुछ लोग कर्ज निकालकर कुछ लोग उधारी लेकर भारतीय संस्कृति का अहम् त्यौहार मनाते है लेकिन कुछ लोग कर्ज से डरकर जुआ की ओर बढ़ने लगते है. जुआ एक खतरनाक लत है.
यही कारण है की भारत सरकार ने मटका नाम के जुआ और इसी तरह के कई जुए पर पाबंदी लगाई है. बावजूद इसके जिला नांदेड के अक्सर त्तालुको में जुआ का खेल खुलेआम खेला जा रहा है. जिसकी वजह से कमाई हुई मजदूरी जुआ में हारने वालो की संख्या में भी बढ़ोतरी होती दिखाई दे रही है. लोगो का रुख जुआ की और बढ़ रहा है में भोकर, बिलोली, उमरी एवं नांदेड शहर में मटका खुलेआम चलाया जा रहा है. जिसको लेकर महिलाओं में निराशा छाई हुई है साथ ही बुद्धिजीवी वर्ग की और से गैरकानूनी जुआ पर रोक लगाने की मांग तेजी से बढ़ रही है.