झारखण्ड पुलिस द्वारा मिन्हाज की हात्या को लेकर सोशल मीडिया पर इन्साफ की मांग बढ़ने लगी है. आये दिन मुसलमानों पर हो रहे जुल्म बढ़ते ही जा रहे है. इस विषय पर सोशल मीडिया पर चर्चा करते एक सोशल ग्रुप .....
अली सोहराब
मतलब कि "धामरखोदी" की हद होती जा रही है इस देश में , पहले फ्रिज में गोमाँस का आरोप लगाकर मंदिर के लाउडस्पीकर से ऐलान करो और फिर "हर हर महादेव" के नारे के साथ "अखलाक" को कूँच दो। हिमाँचल प्रदेश में ट्रक के क्लीनर नोमान को इस आरोप में मार डालो कि ट्रक में गाय थी , ड्राइवर व अन्य लोग जो मुसलमान नहीं थे उनकी जान बख्श दो।
फिर राजस्थान में मुस्लिम ट्रक ड्राईवर और क्लीनर की नंगा करके पिटाई करो कि वह गाय के तस्कर थे।
फिर झारखंड के लातेहर में मोहम्मद मजलूम और छोटू उर्फ इंतियाज खान को पेड़ पर लटका कर फाँसी दे दो जबकि वह भैंस के खरीद फरोख्त का व्यापार करते थे।
फिर मध्यप्रदेश में मुस्लिम दंपत्तियों का टिफिन चेक करो और पिटाई कर दो कि उनके खाने में गोमाँस था , मुँह खुलवाकर चेक करो। फिर माँस का व्यापार करती दो मुस्लिम महिलाओं की पुलिस की मौजूदगी में पिटाई कर दो कि वह ट्रेन से "गोमाँस" ले जा रही थीं।
और ऐसी तमाम घटनाओं के होते हुए फिर हुआ "मेवात" जहाँ 3 मुस्लिम बच्चियों और महिला के साथ सामूहिक बलात्कार करो और दो लोगों की हत्या कर दो , इसके लिए झूठा आरोप लगा दो कि बिरयानी में "गोमाँस" है।
यहाँ तक तो साक्षात "बीफ" का आरोप लगाकर "गोगुंडों" ने अत्याचार किया परन्तु अत्याचार की हद देखिए कि अभी कुछ दिन पहले दिघारी गाँव के "मिनहाज अंसारी" ने "ज्योति क्लब जुम्मन मोड़" नामक व्हाट्सएप ग्रुप पर 2 अक्तूबर की देर रात कुछ तस्वीरें पोस्ट की थीं. इनमें वो मांस के टुकड़े के पास बैठा था, और गोगुंडों ने तुरंत पहचान लिया कि यह "गोमाँस" है। और "विश्व हिंदू परिषद" से जुड़े सोनू सिंह ने इसके बीफ़ होने और इससे हिंदुओं की भावनाएं भड़कने की सूचना पुलिस को दी और उसका स्क्रीनशाट पुलिस को दिया।
इस देश में पुलिस की सूचना तकनीक कानून 2000 और सूचना तकनीक (संशोधन) कानून 2008 के अंतर्गत इतनी त्वरित कार्यवाही आपने पहले कभी नहीं देखी होगी। खुद देखिए मिनहाज अंसारी की माँ का बयान
"पुलिस 3 अक्तूबर की आधी रात हमारे घर पहुंची , घर पर पथराव शुरू कर दिये, दरवाजा खुलते ही पुलिसवाले घर में घुस गए, मेरी बेटी और बहू को गंदी-गंदी गालियां दी. फिर पेटी का ताला तोड़कर लैपटाप, सिम कार्ड, बाइक पैसे आदि लेकर चले गए, उन लोगों ने फ़ोन पर मिनहाज से बात करायी, तो वह रो रहा था. उसने बताया कि उसे बुरी तरह पीटा गया है. इसलिए पुलिस को सामान ले जाने से मत रोकें. ''
मोबाइल एसेसरीज की छोटी सी दुकान चला कर अपने माँ बाप और 5 भाई तथा पत्नी और 8 महीने की बेटी का पेट पालने वाले "मिनहाज अंसारी" को पुलिस ने गोगुंडे के साथ मिलकर इतना पीटा कि अस्पताल से अस्पताल होते हुए रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया। यह है इस देश का निष्पक्ष कानून जिसपर हम छाती पीटते हैं ।
अब "गोगुंडे" इतने तकनीकी अपडेटेड हो गये हैं कि चित्र से पहचान लेते हैं कि यह "गोमाँस" है और फिर पुलिस उसको अदालत का बाप बनकर जान से मार देती है। यह है हमारे देश की व्यवस्था , और फिर कहो तो कहा जाएगा कि आप मुसलमानों की ही बात सिर्फ़ क्युँ करते हो ?
मिनहाज अंसारी की विधवा पत्नी मोहिदा के सवालों का जवाब मुसलमानों की औरतों के हक की बात करने वाले भाजपाई देंगे की ''पुलिस ने मेरे पति को पीट-पीट कर मार डाला , पीटने वाले सब इंस्पेक्टर पर हत्या का मुकदमा चलाकर फांसी देनी चाहिए , मेरी आठ महीने की बेटी है, अब मेरा और उसका कौन है , हमारा पेट कैसे पलेगा'' ?
जानते हैं कि यह सब क्युँ हुआ ? क्योंकि थानाध्यक्ष "पाठक" था जिसे इस घटना के बाद निलंबित कर दिया गया डीजी बंजारा और हरीश पाठक वाली व्यवस्था में यह ज़ुल्म तो बहुत कम है आने वाले दिनों में चित्र तो छोड़िए "गाय" का नाम लेंगें तो कूच दिए जाएँगे। चार दिन की हूकूमत पर इतना नशा ?
Mohd Zahid
Rihan Mirza
काका मेरा अनुमान ये है सरकार चाहे किसी की भी हो लेकिन ये गुंडा गरदी अब रूक नही पाएगी क्योकी इन लोगो को एक एसा हथियार मिल चुका की चाहे किसी को भी पकड कर झुठा इलजाम लगा कर जान तक से मार देते है ओर इनका कोई बाल भी बांका नही कर सकता ।
क्या ये लोग कभी एक हो पाएगें जुल्मों के खिलाफ या बस फिरको मे बटे रहेगें।
Alam Ansari
अरे ओ काका निकम्मो के जैसे कब तक तमाशा देखते रहेंगे सब अब वक़्त आ गया है जालिम का मिल जुल कर मुकाबला और उनका खात्मा करें,
Tajwarnazir Dadkhan
भारतीय कानून और अदालते भी मुस्लिम के साथ एक धोखा ही है कोई इंसाफ नही करती और कोई भी अदालत संज्ञान नही लेती भारत को भी यह लोग फ़लस्तीन बनाना चाहते हैं
Asif Pasha
यह खामोशमिजाजी तुम्हे जीने नही देगी।जो लोग अत्याचार सहते है उन पर अत्याचार बढता जाता है।कभी दादरी कभी मणीपुर कभी विदिशा कभी गुजरात कभी रोहतक कभी जामताड़ा मे गाय के नाम पर तुम पर अत्याचार होते रहेगो।अब वक्त आ गया है कि बिरादरीवाद कीछोटी सोच से ऊपर उठकर मुततहिद होईये और ऊना गुजरात के दलितो से सबक लिजिये।अपने वोट की ताकत का इस्तेमाल किजिये और बैलेट के जरिये और सड़क पर उतरकर साप्रदायिक कातिलो को सबक सिखाईये।मुत्तहिद होगे तो कहलाओगे मोमिन गाजी।मुन्तशिर होगे तो किश्तो मे सफाया होगा।
Parvez Khan
भाइ मुस्लिमो पर आये दिन जुल्म बड़ते जा रहे है और कुछ नही हम लोग इकट्टठा होकर विरोध तो कर सकते है जब दलित इकटठा हो सकते है तो हम क्यो नही और जब से ये मोदी सरकार आयी है संघियो को खुल्ली छूट मिल गयी है कोइ केहने सुनने वाला नही हैअली सोहराब