सपा राज में धनलूट के अनवरत जारी रहने के चलते समाजवाद शब्द पर ही प्रश्नचिन्ह लग गया है।
बलिया, बाढ़ग्रस्त बलिया में पीड़ितों को मदद पहुंचाने का अभियान चला रहे रिहाई मंच ने बाढ़ को प्राकृतिक आपदा से ज्यादा राजनीतिक और प्रशासनिक उदासीनता का परिणाम करार दिया है।
सपा राज में धनलूट के अनवरत जारी रहने के चलते समाजवाद शब्द पर ही प्रश्नचिन्ह लग गया है। बलिया की बाढ़ प्राकृतिक नहीं सरकारी आपदा- रिहाई मंचरिहाई मंच अध्यक्ष डॉ. अहमद कमाल ने कहा कि बलिया आजादी के 70 साल बाद भी बाढ़ की विभीषिका को सिर्फ इसलिए झेलने को मजबूर है कि जनप्रतिनिधियों ने लोगों से सिर्फ वोट ही लिया कुछ दिया नहीं। यहां तक कि मूलभूत ढांचों तक का निर्माण भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया।
वहीं रामगढ़ में बाढ़ पीड़ितों को राहत सामग्री वितरित करने गए रिहाई मंच के सचिव मंजूर आलम ने कहा कि प्रशासन अगर पहले से मुस्तैद रहता तो बाढ़ से उतना नुकसान नहीं होता। उन्होंने जिला प्रशासन समेत क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों पर बाढ़ के नाम पर आर्थिक लूट करने का आरोप लगाते हुए कहा कि इनके निकम्मेपन की ही सजा जनता को भुगतना पड़ रहा है।
रिहाई मंच नेता अतुल गुप्ता ने कहा कि बाढ़ के रोकथाम के नाम पर हर साल करोड़ों रूपयों का पैकेज आता है लेकिन सब अधिकारियों और नेताओं की जेब में चला जाता है। उन्होंने कहा कि सपा राज में धनलूट के अनवरत जारी रहने के चलते समाजवाद शब्द पर ही प्रश्नचिन्ह लग गया है।
इस दौरान रिहाई मंच के धीरज, विजय गुप्ता, लल्लन गुप्ता, लकी, सलाहुद्ीन खान, शकील खान, दीपक, संतोष चैरसिया, अविनाश बरनवाल, विनय चैरसिया, यशवंत सिंह, सिद्धांत सिंह, शम्भू गुप्ता, रविशंकर गोंड़ आदि उपस्थ्ति थे।