लखनऊ 21 सितम्बर 2016। अक्षरधाम मंदिर हमले में पोटा और गुजरात हाईकोर्ट की साम्प्रदायिक मानसिकता के चलते फंासी की सजा पाने के बाद सुप्रीम कोर्ट से बरी हुए बरेली निवासी चांद खान को गोमांस के नाम पर पिछले तीन महीने से पीलीभीत जेल में बंद किए जाने को रिहाई मंच ने सपा सरकार की साम्प्रदायिकता का ताजा उदाहरण बताया है।
जारी प्रेस विज्ञप्ति में मंच नेता और अक्षरधाम मंदिर पर हुए हमले पर लिखी गई पुस्तक ‘आॅपरेषन अक्षरधाम’ के लेखक राजीव यादव और षाहनवाज आलम ने कहा कि 11 साल तक बेगुनाह होने के बावजूद जेल में रहने के बाद चांद खान ने 2014 में छूटने के कुछ दिन बाद से परिवार को पालने के लिए कार चलाने का काम षुरू कर दिया था। जिसके तहत वे सवारी ढ़ोने लगे और इसी दौरान 15 जून 2016 को जब सवारी छोड़कर वापस लौट रहे थे तब बीसलपुर थाना अंर्तगत पड़ने वाले नवदिया सितारगंज इलाके में सब इंस्पेक्टर ष्याम सिंह यादव ने उन्हंे और उनके दो अन्य साथियों अतीक और फैजान को गोकषी के झूठे आरोप में उनके पास से पांच सौ किलो कथित गोमांस की बरामदी दिखा कर जेल भेज दिया। जबकि सच्चाई यह थी कि उनके पास से पुलिस को कुछ भी नहीं बरामद हुआ था और वे बिना किसी सामान के गाड़ी से लौट रहे थे। उन्होंने कहा कि पुलिस का झूठ इससे भी बेनकाब हो जाता है कि कोई बरामद मांस किस चीज का है इसकी जांच फोरेंसिक लैब में होती और उसे आने में महीनों लग जाते हैं। लेकिन इस मामले में पुलिस ने फौरन उन्हें आरोपी बनाकर चलान कर दिया जो पुलिस की आपराधिक नीयत साबित कर देता है।
रिहाई मंच नेताओं ने आरोप लगाया कि अक्षरधाम मंदिर में हुए कथित आंतकी हमले के आरोप से बरी होने के कारण ही पुलिस चांद खान को गोकषी के झूठे आरोप में फंसा रही है ताकि वो जेल के अंदर रहे। जिससे गुजरात पुलिस, आईबी और एटीएस समेत तत्कालीन मुख्मंत्री नरेंद्र मोदी की अक्षरधाम मंदिर हमला मामले में संलिप्तता पर बोलने के लिए कोई बाहर न रह जाए। उन्होंने कहा कि गुजरात में भी इस मामले से बरी हुए लोगों को पुलिस, आईबी और एटीएस लगातार डराती धमकाती रहती है जिसके खिलाफ वहां कई बार विरोध प्रर्दषन भी हुए हैं। उन्होंने कहा कि होना तो यह चाहिए था कि बेगुनाह होने के बावजूद 11 साल तक जेल में फंासी के डर में जीने वाले चांद खान को अपने चुनावी वादे के मुताबिक सरकार मुआवजा देकर उसका पुर्नवास करती लेकिन ऐसा करने के बजाए अखिलेष सरकार उसे फिर से फर्जी मामले में जेल भेजकर अक्षरधाम मामले में बेगुनाहों को फंसाने के असली दोषी नरेंद्र मोदी को बचा रही है। यहां गौरतलब है कि 14 मई 2014 को सुनाए गए अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों को बेगुनाह बताते हुए गुजरात के तत्कालीन गृहमंत्री को आरोपियों के खिलाफ निराधार और संगीन आरोप लगाने में अपने विवके का इस्तेमाल नहीं करने के लिए तीखी आलोचना की थी। यहां गौरतलब है कि गृहमंत्रालय का कार्यभार भी उस समय मुख्यमंत्री मोदी ही सम्भाले हुए थे।
वहीं रिहाई मंच नेता अनिल यादव और षकील कुरैषी ने कहा कि उरी हमले के लिए हापुड़ के सपा जिला उपाध्यद्वा संजय यादव द्वारा मुसलमानो को जिम्मेदार बताना और पैगम्बर मोहम्मद के खिलाफ सोषल मीडिया पर अमर्यादित टिप्पड़ी करना सपा और उसके नेताओं के मुस्लिम विरोधी साम्प्रदायिक मानसिकता को दिखाता है। उन्होंने कहा कि सपा ने अपने सामाजिक जनाधार को हिंदुत्ववादी नजरिए से ही विकसित किया है जो वोट तो मुसलमानों का लेते हैं लेकिन मानसिकता आरएसएस का रखते हैं। जिसके कारण मुसलमानों का वोट लेने वाला यह तबका फैजाबाद से लेकर आजमगढ़ तक मुसलमानों के खिलाफ होने वाले साम्प्रदायिक हिंसा में सबसे आगे रहता है।