किसपर भरोसा करे किसके लिए लढे ? ऐसे कई सवाल उपस्थित कर सकती है यह खबर. आपको इस बात से भी आगाह कराता हूँ की, यही वह लोग है जिनको मुआवजा देने की बात कही गयी थी तब इनका जवाब था "हमको पैसा नहीं चाहिए, हम भी उनको उसी तरह पीटना चाहते है जिस तरह उन्होंने हमारी पिटाई की" पैसे की ऑफर को ठुकराने वाले अब किस प्रलोभन में फंसे ? इस बात पर गौर करना भी जरुरी है.
उना में गौरक्षकों द्वारा दलितों पर किये गये हमले के बाद गुजरात सहित पूरे देश में इस घटना के विरोध में दलितों ने आन्दोलन किया था | जिसकी वजह से भाजपा अपने गढ़ गुजरात में सीएम पद तक नेतृत्व परिवर्तन करने पर मजबूर हो गयी थी | लेकिन टाइम्स ऑफ़ इंडिया की ख़बर के मुताबिक उना के पीड़ित दलित संघ के कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैं | जबकि इस घटना के विरोध में जो आन्दोलन किये गये थे उसमें आरएसएस पर भी निशाना साधा गया था |
इससे पहले भी पार्टी द्वारा हिंदुत्व राजनीति के तीन विरोधी नेताओं रामदास अठावले, रामबिलास पासवान और उदित राज को अपने साथ शामिल किया था | उना के दलित पीडि़तों को अपने साथ शामिल किये जाने को रणनीतिकार संघ और भाजपा की एक बड़ी उपलब्धि मान रहे हैं | इससे ये भी पता चलता है कि राजनीतिक प्रलोभन और दबाव के ज़रिये संघ और भाजपा दलित आन्दोलन को दबाने का प्रयास कर रही है|
उना के पीड़ित दलितों के संघ के कार्यक्रम में शामिल होने से हिंदुत्व विचारधारा वाले स्वयंसेवकों को गौरक्षा के नाम पर आतंक मचाने की पूरी छूट मिल जाएगी | जबकि इस आंदोलन से उभरे नेता जिग्नेश मवानी ने इसपर अफ़सोस ज़ाहिर किया है |