सोशल डायरी ब्यूरो
आज देश में गरीबी रेखा में आने वाले लोगो की तादाद बढती ही जा रही है. ऐसे में एक प्राथमिक सर्वे में पता चला की, हर सातवे मुस्लिम परिवार को दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं होती, सर्वे सिर्फ मुस्लिम बहुल इलाके में ही किया गया है. यह एक ऐसा दौर है जिस दौर में विश्व मुसलमानों के खिलाफ साजिशे करने में जुटा है. लेकिन इस्लाम है की बढ़ता ही जा रहा है. लोग अल्लाह पर४ ईमान रखे हुए है. भूक की तकलीफ हो या प्यास की शिद्धत मुसलमान डगमगाता नहीं. लेकिन अल्लाह सुभानाऊ तआला ने एक सिस्टिम बनाया हुआ है. और कहा गया है की, आप तब तक खाना नहीं खा सकते जबतक यह देख ना लो की, आपका पडोसी खाया है या भूखा है. लेकिन अफसोस की बात यह है की, कई मुस्लिम इलाको में सर्वे करने के बाद पता चला है की, हर सातवा परिवार ऐसी जिंदगी गुजार रहा है जिसको एक वक्त की रोटी बड़ी मुश्किल से मिलती हो. इस सर्वे में एक दिल दहला देने वाली बात यह सामने आई है की, 75 फिसद लोग अपनी खुद्दारी की वजह से किसीसे कुछ मांगते ना किसीको अपनी परेशानियों के बारे में बताते है. लेकिन सच यह भी है की, जो परेशानियों में घिरा हुआ है ऐसे लोगो को पहचानना मुश्किल नहीं है. लेकिन इस रमजान में भी कई लोग बिना सहेरी के भी रोजा रखे हुए पाए गए है.
और कई लगो की दिली तमन्ना के बावजूद वह रोजा नहीं रख पाए. सर्वे में पाया गया है की, इस्लाम ने जकात को फर्ज बनाया है. और रमजान में हर वह मुसलमान जिसपर जकात फर्ज है वह जकात देने में पीछे नहीं हटते. लेकिन फिरभी हर सातवे परिवार पर भुखमरी का साया होना चिंता का विषय बना हुआ है. क्योंकि छह परिवार मिलकर एक परिवार के रोजी रोटी का इन्तेजाम कर सकते है. तभी सभी मुसलमानों से अपील की जाती है की, जकात की रकम या फितरे का अनाज सही जगह पर लगाए और छह परिवार मिलकर अगर एक परिवार के रोजी रोटी का मसला हल करे. जिससे कोई भी भूखा नहीं रहेगा. और हमारी और आपकी आखिरत बनेगी.
यह सर्वे करने का कारण यह था के इन दिनों मांगने वालो की तादाद बढ़ी हुई दिखाई दे रही थी. बढ़ी हुई तादाद को देखकर सर्वे किया गया है. जिसमे दिल दहला देने वाली बात जो सामने आई है वह यह है की, अपनी खुद्दारी की वजह से कई लोग ऐसे है जो किसीसे कुछ मांगते है ना अपनी परेशानियों को किसीके सामने शेयर करते है. तब सिर्फ रमजान में ही नहीं तो हमेशा के लिए रईस परिवारों का फर्ज बनाता है की, उन परिवारों की मदत करे जो एक वक्त की रोटी बीमुश्किल हासिल कर पाते है. बस यही इस्लाम है और हम मुसलमान है.