सोशल मीडिया पर दुल को चिर देने वाली कश्मीर की तस्वीरे वायरल हो रही है. और एक एक शब्द इंसान के दिल को चिर देने वाला है.हैवानियात्की सभी हदेपार्की जा रही है कश्मीर में कहीं महिलाओं के दुपट्टे सारे आम खींचे जा रहे है तो कहीं छह महीने आयु के बच्चो का क़त्ल किया जा रहा है तो कहीं एक दो वर्ष आयु के बच्चो की बुरी तरह से पिटाई कर मौत के घात उतारा जा रहा है. कई नामालिग़ लडकियों युवतियों और महिलाओं की इज्जत को सरेआम तार तार किया जा रहा है. भाइयो के समक्ष बहनों की इज्जत के साथ खेलकर उसका क़त्ल किया जा रहा है तो कहीं परिवार के सामने महिलाओं की आबरू लूट ली जा रही है. यह सब पुलिस और सेना के लोगो द्वारा किये जाने के आरोप सोशल मीडिया पर लगाये जा रहे है. यह सब दुनिया देख रही है लेकिन कोई उफ़ तक करने को तैयार नहीं. हम आपको सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरे एवं कुछ लोगो के विचार शेयर कर रहे है. तस्वीरों में साफ़ तौर पर सेना और पुलिस की हरकते देखने को मिलेगी जिन्होंने मासूम बच्चो को भी नहीं बख्शा मानो यह मासूम बच्चे कोई खूंखार आतंकी हो.
Satnam Singh
ये तस्वीर मुझे कई दिन से परेशान कर रही ह जब भी इसे देखता हु विचलित हो जाता हु क्योंकि अनचाहे ही सही इन बच्चों की जगह मुझे अपने बच्चे नज़र आते ह !
क़सम से अगर मेरी आँखों के सामने मेरे बच्चों के साथ ये हो जाए तो ख़ुद उनके हाथ में बंदूक़ दूँगा और कहूँगा की लड़ो !
ये बड़ा स्वाभाविक ह क्योंकि जैसे ही हम कहीं देखते सुनते ह की किसी बच्चे ने ये गौरवपूर्ण काम किया हर पिता को तुरंत अपने बच्चों का ख़याल आता ह एक दिन मेरे बच्चे भी ऐसा कुछ कर दिखाए
मन की पीड़ा : पिता होने के नाते !
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Abdul H Khan
#कशमीर की कुछ कड़वी सच्चाईंयां भी है जिसे न तो #मीडिया दिखा सकती है
न नेता बोल सकते हैं ,
यूं ही नही बनता आतंकवादी कोई
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दिलों को चीर देने वाली बात कह दी अमृतसर की जनता ने कश्मीर के लिए।
"जानवरों पर भी इतना ज़ुल्म नहीं होता है जितना भारतीय सेना कश्मीरियों पर कर रही है।" अकाली दल, अमृतसर
ना हम बुरहान वानी का साथ दे रहे हैं और न आतंकवाद का।
हम अमन शान्ति के लिए कह रहे हैं, और आम जनता के ख़िलाफ़ इस तरह का जुल्म गलत है।
"काश्मीरियों का दर्द, हो सके तो पढ़कर महसूस किजिये"
आप कल्पना नहीं कर सकते हैं ये तस्वीरें इतनी दर्दनाक हैं कि देखते ही आखें नम हो जाए, सुबह से सोच में हुँ क्या ऐसा लिख दुँ के उनको भी महसुस हो जो ऐसी हैवानियत के समर्थक हैं, फिर सोचा उन माहान शांतिदूतो को कैसे महसूस होगा जो जलते हुए कश्मीर के बेक़सूर मरहुमों पर भी अभद्र टिप्पणींयाँ की हो, उनको कैसे महसूस होगा जिन्होंने किसी के आंसु नहीं देखे बल्कि विकेट गिन रहे हो,
फिर सोचा हमारी कौम समझेगी लेकिन तब ख्याल आया मुसलमान मरते रहें हैं आए दिन हमारे देश में या फिर किसी न किसी मुस्लिम देश में खून की नदिया बह गयी किस किस को लिखूं...?
कल सीरिया जल रहा था, सूडान, कश्मीर, यमन, लीबिया, हर तरफ बेगुनाह मुसलमानों की तबाही का मंजर था..!
दिल्दाहला देने वाले मंजर की कुछ तस्वीरे |
लेकिन फिर भी हम सो रहें थे, मसलेहत और फिरको की चादर ओढ कर. ये कैसे कहें कि मुसलमानो एक हो जाओ, बचा लो देश को साजिशों से ......
पेरिस मे चार्ली आब्दो पर अटैक हुआ था 11 लोग मारे गए थे , पूरी दुनिया फेसबुक पर अपनी डीपी फ़्रांस के झंडे के रंग में रंग ली थी। फिर फ्रांस में ट्रक द्वारा हमला हुआ सारे शांती दूतो ने अपने-अपने टाइमलाइन पर 5-5 किलोमीटर लमबी पोस्ट चेंप दी।
याद किजिये सीरिया के अलेप्पो शहर में 28 अप्रैल को हमला हुआ हॉस्पिटल समेत सेकड़ों इमारतों को खंडहर बना दिया गया, डॉक्टर और मरीजों समेत 4000 लोग मार दिये गये, किसी की शकल भी नहीं बदली थी , सारी दुनिया चुप थी।
अरे हम दुनिया क्यों घुम रहे ? लौट आइऐ और चलिए अपने देश की जन्नत कश्मीर की ओर और देखिए अब तक लगभग 40 की मौत और हजारों घायल पङे हैं और रोजाना तादाद में वृद्धि हो रही, और लोग इसका जायका नमक की तरह स्वादानुसार ले रहे हैं, जैसा कि आप वाकिफ हैं ।
अब जरा कल्पना किजिये वहाँ का मंजर, एक माँ अपने बचचे की लाश को गोद में लेकर कह रही है के उठ जा बेटा तेरे बाबा धर आते ही होंगे खिलौने लेकर, एक बाप अपनी बच्ची की लाश को गोद में लेकर कहता होगा उठो बेटी बहुत अरमान है तुझे पालने से डोली तक का सफर तय करता देखुं, एक बच्चा अपनी छोटी बहन को समझा रहा है की चुप हो जा बाबु अम्मी अब्बू आएगे, एक बच्ची अपने बाप के लाश से कह रही होगी उठो अब्बा जान हमें डर लग रहा है, एक बेटा अपने मां बाप की लाश से कह रहा होगा उठो अम्मी अब्बा अभी तो मैं आप के लिए कुछ किया भी नहीं आपका ख्याल रखुगा आपको हज पर भेजना है, एक बीवी अपने शौहर के लाश से कह रही होगी उठो हमारा कया होगा ? एक शौहर अपनी बीवी से कह रहा होगा उठो हमारे बच्चों का क्या होगा उनका ख्याल कौन रखेगा ? देखो इन तस्वीरों को जहां शब्द किसी की भावनाओं को व्यक्त नहीं कर सकता।
धरती पर इंसान को मारकर मंगल पे जिंदगी तलाश करने वालों आप ऊपर वाले के सामने किस मुहं से बोलोगे ? और क्या बोलेगे ?
कूछ पल को आँखें बन्द करके चिन्तन करो ! उन बच्चों की जगह आपका बच्चा और इन लोगों की जगह आप या आप की माँ, बहन, बीवी, बेटी हों तो क्या करोगे ? यह लोग आत्महत्या भी नहीं कर सकते क्योंकि इस्लाम में आत्महत्या महापाप है !
किन्तु वे प्रतिदिन अपने मासूमों की लाश से लिपट कर रोने को बाध्य हैं ! क्या इसी का नाम न्याय है ?
आखिर में एक सवाल अब जब कश्मीर में ISIS या कोई आतंकवादी नहीं उन की जगह बेगुनाह लोग मारे जा रहे हैं तो कितने ऐसे अमनपरस्त लोग हैं, जिन्होंने उनके लिए अपनी संवेदना तक प्रकट की हो ? है कोई जवाब ?
Zahid Taj
feeling
sad.
काशमीर है जहाँ रूदन है बच्चो की किलकारी मे
काशमीर है जहाँ लहू है अब केसर की क्यारी मे....
उपरोक्त खबर सोशल मीडिया पर आधारित है. यह खबर सोशल मीडिया से संकलित है -संपादक
कश्मीरी मुसलमानों पर हो रहे अमानुष अत्याचार के विरोध में धरना प्रदर्शन करते गैरमुस्लिम सिख भाई |
उपरोक्त खबर सोशल मीडिया पर आधारित है. यह खबर सोशल मीडिया से संकलित है -संपादक