सोशल डायरी ब्यूरो- महाराष्ट्र, नांदेड
भारत में ऐसे कई संगठन है जो मजलूमों के हख में लड़ने की बात जोर जोर से चिल्ला पुकारकर कहते है. और अपना उल्लू सीधा करते है, किसी विशेष जाती या धर्म को लेकर आन्दोलन करने वाले संगठनो की भी संख्या में कमी नहीं है. जो एक जाती को सर पर उठाये फिरते है. अच्छा हुआ जो संविधान बाबासाहब आंबेडकर ने लिखा अगर आज के किसी संगठन के नेता ने लिखा होता तो भारत को बहुत नुक्सान उठाना पड़ता. इस दौर में निस्वार्थी संगठनो की संख्या महज उंगलियों पर गिनने जितनी है. हमें इससे कोई मतलब नहीं की संगठन किसका है ? इसका निर्माता कौन है ? इसमें कौन लोग है ? हम तो सिर्फ यह चाहते है की, मजलूमों पर हो रहे अत्याचारों की लड़ाई लड़ने के लिए जो सदैव सबसे आगे निस्वार्थ रूप से खडा होता है ना जाती देखता है ना धर्म ऐसे संगठन को साथ देना हमारा कर्तव्य है. इसीको इंसानियत कहते है. हाँ यह बात और है की किसीको भी जानना परखना यह काम मुस्किल तो है नामुमकिन नहीं. कितना भी भोला इंसान हो या फिर बेवकूफ भी क्यों ना हो. निस्वार्थी और स्वार्थी को पहचान लेता है. फर्क सिर्फ इतना है किसीको देर लगती है तो कोई जल्दी से पहचाना जाता है.
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ऐसे ही एक संगठन के बारे में हम बात कर रहे है जो कई वर्षो से मजलूमों की लड़ाई निस्वार्थ रूप से लड़ता दिखाई दे रहा है. निस्वार्थी संगठन भारत में महज उंगलियों पर गिनने जितने ही है, जिसमे से एक निस्वार्थी संगठन है रिहाई मंच. रिहाई मंच उत्तर प्रदेश का एक संगठन है जिसके राष्ट्रीय अध्यक्ष एडवोकेट मुहम्मद शोएब है. इस संगठन में विभिन्न जाती एवं धर्मो के लोग कार्यरत है.
जिन्होंने कभी किस विशेष जाती के लिए कोई कार्य नहीं किया बल्कि इंसानियत के लिए इंसानों पर हो रहे जुल्म के खिलाफ आवाज उठाई जिन्होंने आतंकवाद के नाम पर बेगुनाह फंसाए गए कई नौजवानों को जेल से रिहा किया, सैकड़ो केसेस है जो न्यायप्रविष्ट है जिनकी कानूनी जंग जारी है. हजारो मजलूमों के लिए आन्दोलन किया और हजारो लोगो को न्याय दिलाने में समर्थ रहे. और न्यायिक लड़ाई जारी है. रिहाई मंच के प्रवक्ता राजीव यादव इन्होने बताया की रिहाई मंच ने देशभर के कई अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाई है और यह आवाज कभी कोई बंद नहीं कर सकता. हम मजलूमों के लिए कानून के दायरे में रहकर हमेशा से खड़े रहे है और खड़े रहेंगे. रिहाई मंच के महासचिव शाहनवाज आलम नेबताया की रिहाई मंच महाराष्ट्र यूनिट का भी गठन जल्द ही किया जाएगा. महाराष्ट्र में दलितों मुसलमानों के साथ साथ ओबीसी पर भी अन्याय की वारदाते बढती जा रही है. रिहाई मंच के गठन से अन्यायग्रस्त राहत की सांस ले सकेंगे. और महाराष्ट्र यूनिट में बुद्धिजीवी लोग शामिल होकर मजलूमों के हख की कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए संगठन को मजबूत करने की अपेक्षा जताई है.
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