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गुरूद्वारे में गूंजी अजान की आवाज, एकता की बेहतरीन मिसाल

भारत एक ऐसा देश है जहाँ विभिन्न धर्मों के लोग एक साथ रहते है जिसे आम जुबान में गंगा-जमुनी तहज़ीब से पुकारा जाता है. हालाँकि आजकल कैराना जैसा मुद्दा मीडिया में छाया हुआ है. वैसे तो समय समय पर धर्म के तथाकथित ठेकेदारों ने आपसी मेलमिलाप को तोड़ने की बहुत कोशिश की है लेकिन हिन्दुस्तानी जनता के आगे सब बेकार हुआ. कुछ दिनों के मनमुटाव के बाद लोग फिर एक होकर रहने लग जाते है.पाक रमजान के मौके पर फैजाबाद में भी ऐसी ही गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल देखने को मिली, जब सिख समाज के गुरुद्वारे में अजान की सदाएं गूंजीं और पूरी शिद्दत से मुस्लिम समाज के लोगों ने नमाज पढ़ी और इफ्तार किया। इस मौके पर बड़ी तादाद में सिख समाज के लोगों के साथ हिंदू समाज के लोग भी गुरुद्वारे में मौजूद रहे।
गुरूद्वारे में ही आयोजित किया गया रोज़ा इफ्तार कार्यक्रम 
बृहस्पतिवार कि देर शाम फैजाबाद शहर के खिड़की अली बेग क्षेत्र स्थित गुरुद्वारा दुःख हरण में बड़ी तादात में मुस्लिम समाज के लोग इकट्ठा हुए। गुरुद्वारा कमेटी की ओर से कौमी एकता का संदेश देते हुए रोजा इफ्तार पार्टी का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी शिद्दत के साथ मुस्लिम समाज के शहर के मानिंद लोग शामिल हुए। वहीं सिख समाज के भी तमाम वरिष्ठ जन और समाज के सभ्रांत वर्ग के नागरिक भी इस रोजा इफ्तार में शामिल हुए।
मुस्लिम बोले- हमें फक्र है कि हम भारतीय हैं
रोज़ा इफ्तार में शामिल शहर के सभ्रांत नागरिक इकबाल मुस्तफा ने कहा कि ऐसे आयोजन इस बात की गवाही देते हैं कि भारत देश में अनेकता में एकता है। भले ही कुछ समाज विरोधी लोग समय-समय पर अपने फायदे के लिए देश की जनता को बांटने की साजिश करते रहे हैं, लेकिन भारत देश के लोग बंटने वाले नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हमें फक्र है कि हम ऐसे देश के नागरिक हैं, जहां पर गीता और कुरान को बराबर मान सम्मान और आदर मिलता है।
सिख बोले- नहीं कामयाब होंगी समाज विरोधी ताकतें
कार्यक्रम आयोजक गुरुद्वारा दुख निवारण के ट्रस्टी सरदार राजेंद्र सिंह छाबड़ा ने कहा कि इस परंपरा की शुरुआत करने का मकसद आपसी प्रेम और भाईचारे को बढ़ाना है, जिससे पूरे देश में संदेश जाए कि साथ मिलकर बैठने से प्यार बढ़ता है। सभी धर्मों में प्रेम भाव सिखाया जाता है। हम सभी को एक दूसरे के धर्मों का सम्मान करना चाहिए। ईश्वर हर जगह है चाहे वह मंदिर हो मस्जिद हो या गुरुद्वारा हो। (कोहराम से साभार)
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