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एमआईएम को कट्टर मुस्लिमो की पार्टी बनाने की कोशिस, वास्तविकता कुछ और ही है.

हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवेसी की मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लेमीन एमआईएम को सिर्फ उर्दू नाम होने की वजह से कट्टर मुसलमानों की पार्टी घोषित करने का षडयंत्र जोरो पर चल रहा है. मीडिया भी ऐसे ही बयानों को प्रकाशित करता है जो मुसलमानों के हख में दिए गए हो. जय भीम - जय मीम के बारे में तो मीडिया में कभी चर्चा भी नहीं की जाती जो की एम आई एम का नारा है. मजलिसे इत्तेहादुल मुस्लिमीन नहीं मजलिसे इत्तेहादुल मज्लुमीन बनाने की कोशिस में जुटे है ओवेसी.

कई स्वघोषित बुद्धिजीवियों का कहना है की, ओवेसी बीजेपी को सपोर्ट करते है. मेरा उनसे सवाल है की, अगर बीजेपी सत्ता में ओवेसी के कारण आई है तो आरएसएस 1925 से किस पार्टी के लिए काम कर रही थी ? कई सालो से बीजेपी के कार्यकर्ता क्या ओवेसी के ही इन्तेजार में थे ? के ओवेसी आयेंगे हमको सपोर्ट करेंगे, फिर हम सत्ता में जायेंगे ? सब बकवास है. केजरीवाल को भी बीजेपी का सपोर्टर बताया गया, नितीश कुमार को भी बीजेपी का सपोर्टर बताया गया. और यह बीजेपी का सपोर्टर बताने वाले लोग बुद्धिजीवी नहीं स्वघोषित बुद्धिजीवी है. अगर कोई मुसलमान कुछ बोलने से आरएसएस या बीजेपी को फायदा होता तो साध्वी प्राची, योगी अदि जैसे लोग चौबीसों घंटे मुसलमानों के खिलाफ जहर नहीं उगलते. उनको डर होता अगर मुसलमान नाराज हो गए तो वह सत्ता में नहीं आयेंगे.

मेरा यह मानना है की, यह स्वघोषित बुद्धिजीवी लोगो का यह कहना है की, बीजेपी के सभी दिग्गज निकम्मे है. और बीजेपी को सत्ता में बैठाने वाला सिर्फ वेसी है. डायरेक्ट कहने से फटती है इसलिए इनडायरेक्ट कहते है. जज्बातों के बहाव में ना बहे, अफवाओ पर ध्यान ना दे, दिमाग से काम लें....
धन्यवाद

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