दादरी काण्ड में मारे गए अखलाख के फ्रिज का 05 महीने का सफ़र. और मटन बना बीफ मटन से बीफ तक का सफ़र कैसे तय हुआ इस विषय पर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी हुई है. जानकार लोग अपनी अपनी राये दे रहे है. कुछ चुनिन्दा लोगो के विचार इस प्रकार है.
अली सोहराब
13 hrs ·
मटन को बीफ बनाने में पुरे 5 महीने एक दिन लग गए?? ये बात उस दिन भी बोल देते जब आपने कहा था बीफ नहीं मटन है, हमने कौन सा आपको फांसी पर चढ़ा देना था, लेकिन आप समय का उपयोग करना जानते हैं, 18% आरक्षण का वादा भी एक दम समय पर किये थे।
खैर बीफ़ भी है तो क्या हुआ?? मर्डर करोगे नेताजी??
हमें पता है चुनाव है और अजीत सिंह से गठबंध की भी कवायद चल रही है।
बुढ़िया कह रही थी जब भी चुनाव आता है अशांति ही अशांति होती, हे भगवान इस चुनाव को ही उठा ले।
सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि मुसलमानो ने #आरक्षण का वादा दिलाना शुरू किया जिसका जवाब देना मुश्किल होता जा रहा था इसलिए संघयुक्त समाजवाद ने दे दिया मटन वीथ बीफ़।
Masaud Akhtar
50 mins ·
एखलाक के फ्रिज में 9 महीने बाद बकरे का गोश्त बीफ बन जाता है. अचानक नौ महीने बाद इस फोरेंसिक जांच की जरुरत क्यों पड़ी, जबकि इसकी जांच पहले ही हो चुकी थी. और जब नौ महीने पहले इस जांच ने उसे बकरे का गोश्त पाया था तो नौ महीने में वो बदलकर बीफ कैसे हो गया. यदि यह जांच तभी का है तो इसकी रिपोर्ट आने में नौ महीने कैसे लग गए....यह जांच किसने और क्यों करवाई, क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार ने पहले ही इसकी फोरेंसिक जांच करा ली थी. और यदि यह जांच तबकी नहीं है तो फिर उसके फ्रिज का वो गोश्त किसने सुरक्षित रखा था ताकि नौ महीने बाद इसकी फिर से जांच हो सके. वैसे भी यह मामला एक आदमी के क़त्ल का है न कि उसके फ्रिज में रखे गोश्त का... क्या इस तरह की जांच और उसका रिपोर्ट आना कहीं तमाम संस्थाओ के क्रियाकलापों की विश्वसनीयता को खत्म करने की साजिश तो नहीं
Mohammed Afzal Khan
2 hrs ·
चलिए मटन बीफ में बदल गया क्यों के एक राष्ट्रवादी लैब ने उसे चेक किया है. पहला रिपोर्ट जिस ने बकरे का मीट बतया था वह रिपोर्ट शायद पाकिस्तान के लैब का था , इस में ताज्जुब की क्या बात है जब सारे हिन्दू आतंकवादी NIA की जांच में निर्दोष साबित हो रहे है और सब को देशभक्त का सर्टिफिकेट मिल रहा है तो मटन की क्या औक़ात ! अब आप इसे मीडिया की हरामखोरी या हुकूमत की बदमाशी कहेंगे के पुलिस का कहना है के ये गोश्त इखलाक के घर से नहीं मिला था बल्कि कही चौराहे से उठाया गया था! असल में ये खेल जो सपा द्वारा मिल कर भाजपा खेल रही है इस रिपोर्ट के आधार पर सभी अपराधी को छोड़ दिया जायेगा! अगर बीफ ही था तो क्या आप किसी को जान से मार देंगे अगर बीफ खाने के जुर्म में लोगो को मारना शुरू करेंगे तो फिर भारत की आधी आबादी ख़त्म हो जाएगी! एक बात और अगर आप देखे तो मुसलमानो से ज्यादा बीफ गैरमुस्लिम अधिक खाते है !
Masaud Akhtar
50 mins ·
एखलाक के फ्रिज में 9 महीने बाद बकरे का गोश्त बीफ बन जाता है. अचानक नौ महीने बाद इस फोरेंसिक जांच की जरुरत क्यों पड़ी, जबकि इसकी जांच पहले ही हो चुकी थी. और जब नौ महीने पहले इस जांच ने उसे बकरे का गोश्त पाया था तो नौ महीने में वो बदलकर बीफ कैसे हो गया. यदि यह जांच तभी का है तो इसकी रिपोर्ट आने में नौ महीने कैसे लग गए....यह जांच किसने और क्यों करवाई, क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार ने पहले ही इसकी फोरेंसिक जांच करा ली थी. और यदि यह जांच तबकी नहीं है तो फिर उसके फ्रिज का वो गोश्त किसने सुरक्षित रखा था ताकि नौ महीने बाद इसकी फिर से जांच हो सके. वैसे भी यह मामला एक आदमी के क़त्ल का है न कि उसके फ्रिज में रखे गोश्त का... क्या इस तरह की जांच और उसका रिपोर्ट आना कहीं तमाम संस्थाओ के क्रियाकलापों की विश्वसनीयता को खत्म करने की साजिश तो नहीं ..