कव्वाली सुनने वालो...! अल्लाह का कलाम भी सुनो.
अक्सर देखा जाता है की कुछ लोग बड़े शौक से कव्वालियाँ सुनते है. लेकिन वह इस बात पर गौर किये बिना ही झूम उठते है की, क्या यह कव्वाली सही है ? कुरआन और हदीस के खिलाफ तो नहीं ? सिर्फ कव्वाली सुनना मकसद बना लेते है. यह बहुत खतरनाक बात है. आईये हम आपको बता दे की, कव्वालियो में कैसे कुरआन और हदीस के खिलाफ बोल होते है जिनका ना तो इस्लाम से कोई लेना देना होता है और ना कुरआन और हदीस से. महज इनका मकसद लोगो को गुमराह कर पैसा कमाना होता है. और गुमराही के रास्ते में शैतान का भरपूर साथ होता है.
शायर कहता है: -
"भर दो झोली मेरी या मुहम्मद,
लौट कर मैं न जाउंगा ख़ाली"
अल्लाह कह रहा है: -
"ऐ नबी ! लोगों से कह दीजिए की, तुम्हारे नफ़ा और नुक़सान का इख़्तियार सिर्फ़ अल्लाह के पास है"।
(सूरह जिन्न)
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शायर कहता है: -
"शाहे मदीना सारे नबी तेरे दर के सवाली"
अल्लाह कह रहा है: -
"ऐ लोगों ! तुम सिर्फ़ अल्लाह के दर के फ़क़ीर हो"।
(सूरह फ़ातिर)
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शायर कहता है:-
"ख़ुदा के पास सिवाय वहदानियत के क्या रखा है,
जो मांगना है दर ए मुस्तफ़ा से मांग"।
अल्लाह कह रहा है:-
"जो मांगो सिर्फ़ मुझसे मांगो बेशक मैं ही तुम्हारी दुआ क़ुबूल करता हूँ"।
(सूरह मोमिन)
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जिन जिन को यह लोग अल्लाह के सिवा पुकारते है, वह किसी चीज को पैदा नहीं कर सकते बल्कि वह तो खुद पैदा किये गए है. और वह मुर्दे है ज़िंदा नहीं है. इन्हें तो यह भी नहीं खबर के (अपनी कब्रों)कब उठाये जायेंगे
(सुरह: अल-नहल, 20-21 आयात)
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जो दिन हिसाब का दिन होगा उस दिन....
🏻क्या कहोगे कि हम क़ुरान तो पढ़ते थे मगर सिर्फ़ मुर्दों को बख़्शने के लिए या लोगो को दिखाने के लिए की मैं कुरआन पढता हूँ. या 🏻दुकान और मकान की ख़ैर ओ बरकत के लिए. 🏻या यह कहोगे कि क़ुरान तो तूने आलिमों के समझने के लिए नाज़िल किया था हमारे लिए नहीं ?
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मेरे भाइयों क़ुरान सबके लिए है क़ुरान को अल्लाह ने नाज़िल ही इसीलिए किया है कि सब लोग इसको पढ़ें, समझें और इसके मुताबिक़ अपना अक़ीदा बनाएं और अमल करें।
अल्लाह तआला हम सबको क़ुरान के मुताबिक़ ज़िन्दगी गुज़ारने की तौफ़ीक़ अता फ़रमाए और जाहिल शायरों की शिर्किया शायरी सुनने से बचाए।
आमीन
Edit By- अहेमद कुरेशी
Aziz Ahmed इनकी फेसबुक वाल से साभार