जर्मनी, कोरिया, रूस इटली आदि जैसे कई देश घटती आबादी से परेशान हैं क्योंकि आबादी के बिना न तो इंसानी जाति बचेगी और न ही देश।
जापान जैसे देशों के लिए यह एक विकराल समस्या बन गयी है क्योंकि वहां पर सामाजिक सिस्टम और शादी जैसी संस्था लगभग खत्म हो गयी है।जापान में 18 से 34 साल के बीच के 43 फ़ीसदी लोगों ने कभी संभोग नहीं किया है। 52 फ़ीसदी लोगों का कहना है कि वे वर्जिन हैं और 64 प्रतिशत लोग किसी भी तरह की रिलेशनशिप में नहीं हैं।
इसमें उन फेमिनिस्ट जापानी लड़कियों की भूमिका सबसे ज्यादा है, इन लड़कियों का कहना किसी के साथ रिलेशन में नहीं रह सकती क्योंकि इससे हमारी आज़ादी खत्म हो जायेगी।इन महिलाओं का कहना है कि शादी जैसी संस्था पितृसत्तात्मक है और स्त्री यौनिकता पर नियंत्रण का एक तरीका है।
ये फेमिनिस्ट लड़कियां कहती है कि मैं मर्दो के बिस्तर सजाने और उनकी मजे की वस्तु नहीं हूँ,न ही उनके लिए बच्चे पैदा करने के लिए पैदा हुई हूँ। हाँ, मैं भी मानता हूँ कि आप मजे की वस्तु नहीं है लेकिन इंसानी जाति को आगे ले जाने के लिए बच्चे तो पैदा करना होगा न?
आज तो ऐसी भी फेमिनिस्ट पैदा हो गयी है जो कहती है कि बच्चेदानी निकलवा दो, हमेशा के लिए झंझट खत्म हो जायेगी। अगर इन्ही की तरह पूरी दुनिया सोचने लगे तो इंसानी जाति का अस्तित्व कितने दिन बचेगा?
इसलिए स्वार्थ छोड़िये,दुनिया में सबकुछ आज़ादी ही नहीं होती है, पूर्ण आज़ादी भी अव्यवस्था पैदा करती है। इसलिए आज़ादी भी, प्रतिबंधित आज़ादी होनी चाहिए। -
इरफ़ान जिब्रान