वे भारत के हो सकते हैं लेकिन जजमेंट के लिए उन्हें युद्ध और विश्व की सुरक्षा के लिहाज से सोचना होगा अन्यथा उन्हें इस पद पर रहने का अधिकार नहीं है।
हमारी जिम्मेदारी अपनी कंपनी या पद पर निर्भर करता है देश जाति काल खंड पर नहीं।
यह वैश्विक पद है।दूसरा न्यायिक है।तीसरा पन्द्रह जजों में से जब तेरह जज ने रूस के खिलाफ ही बयान दिया है तो एक भंडारी नहीं ही देते तब भी रूस को अपराधी ही माना जाता।
वैसे भीलहमारी ट्रीटी होने से क्या फर्क पड़ता है।न्याय के लिए क्या सच की बात पंचायत में न कहोगे।आज भी जुम्मन और अलोपीद्दीन की पंचपरमेश्वर की बात याद आनी चाहिये।