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3 साल से जेल में बंद है बेगुनाह पत्रकार आसिफ सुल्तान ।। क्योंकि मुखबिरी से किया था इनकार ।

3 साल से जेल में बंद है बेगुनाह पत्रकार आसिफ सुल्तान ।। क्योंकि वह गोदी मीडिया का हिस्सा नही है ।

3 साल से जेल में बंद है बेगुनाह पत्रकार आसिफ सुल्तान ।। क्योंकि मुखबिरी से किया था इनकार ।

कश्मीर के पत्रकार आसिफ सुल्तान को यूएपीए कानून लगा श्रीनगर के सेंट्रल जेल में रखें 1050 दिन से अधिक हो गए हैं, 27 अगस्त को तीन साल हो जाएगा. उन्हें सेना ने मुखबिरी करने कहा था, इंकार कर दिया. तब से चरमपंथियों को साथ देने के घिसे पिटे आरोप में जेल में हैं. आसिफ कश्मीर की अंग्रेजी पत्रिका "कश्मीर नैरेटर" में सहायक संपादक थे. 

पुलिस ने उन पर चरमपंथियों को पनाह देने, हत्या और हत्या का प्रयास का झूठा मुकदमा लगाया.जबकि सच यह है पुलिस को उनके पत्रिका में बुरहान पर लिखें एक लेख से ही परेशानी थी .यह लेख जुलाई 2018 में प्रकाशित हुआ था. पुलिस ने उनके आई फोन और मैकबुक से सबूत प्राप्त होना बताया .जो सरकार भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार सामाजिक कार्यकर्ताओं के लैपटॉप में मालवेयर का इस्तेमाल करते हुए इजरायल से "भड़काऊ" सबूत डाल सकती है. वो आसिफ के मोबाइल, कंप्यूटर में क्या कुछ नहीं डाल सकती है? यह समझना मुश्किल नहीं है. 

आसिफ के जब्त मोबाइल और कम्प्यूटर को चंडीगढ़ के फोरेंसिक लैब में भेजा गया है लेकिन 3 साल बाद भी लैब की रिपोर्ट  नहीं आई है. फिर किस आधार पर आसिफ जेल में हैं, सिर्फ एक ही आधार है आसिफ का धर्म , उनका नाम औरल कश्मीरी होना! आसिफ की साढ़े तीन साल की बेटी अरीबा हैं, जब आसिफ गिरफ्तार हुए तब अरीबा सिर्फ छह माह की थी. अरीबा अब जब भी अपने अब्बा से मिलती हैं अब्बा का एक हाथ लंबे हथकड़ियों में जकड़े रहता है. आसिफ के पिता 64 वर्षीय मोहम्मद सुल्तान कहते हैं मेरा बेटा इनोसेंट हैं, उन्हें सिर्फ उनके लेख की वजह से परेशान किया जा रहा है. मोहम्मद सुल्तान की फिलहाल दिल की सर्जरी हुई है. 

इधर लगातार आसिफ की जमानत याचिका को अदालत द्वारा ठुकराया जा रहा है. जेल से उनको प्रताड़ित करने की भी खबर है. आसिफ बेगुनाह होकर जेल में सड़ रहा है. अदालतें तारीख दे रही है. परिवार मुश्किलों से उनके लिए लड़ पा रहा है.बड़ी दाढ़ी और टोपी देख शेष भारत के लोग मुस्लिमों को पहली नज़र में ही आतंकी ठहरा देती है, लेकिन ये लोग ये नहीं देखते 99 फीसद मुस्लिम युवा जिन पर आतंकी होने का आरोप रहता है वे बाद में बाईज्जत बरी हो जाते हैं. आसिफ भी कल आज़ाद होगा, लेकिन जिंदगी के ये जो कीमती वक़्त जेल के सीखचों में कट रहा है इसे कोई अदालत या सरकार लौटा पायेगा? पाप पुण्य का कहीं लेखाजोखा है तो देख लीजिए आपकी सरकार कितना पापी है!
- लेखक विक्रम सिंह चव्हाण के अनमोल विचार

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