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सड़क किनारे विधवा दलित महिला का घर किया ध्वस्त, शासन-प्रशासन की चुप्पी

सड़क किनारे विधवा दलित महिला का घर किया ध्वस्त, शासन-प्रशासन की चुप्पी

उत्तराखंड के जिला उत्तरकाशी के ग्राम टिपरा में एक गरीब विधवा दलित महिला का मकान स्वयं गांव के प्रधान द्वारा इसलिये ध्वस्त किया गया क्योंकि गांव तक सड़क जानी थी और उसकी उचित चौड़ीकरण हेतु विधवा महिला का मकान अड़ंगा डाल रहा था। प्रधान द्वारा मुआवजा देना तो दूर बिना किसी पूर्व सूचना के स्वयं ही सब्बल उठाकर मकान ध्वस्त किया गया।

सड़क किनारे विधवा दलित महिला का घर किया ध्वस्त, शासन-प्रशासन की चुप्पी

इतने दिनों से शासन-प्रशासन जहां चुप्पी साधे बैठा है वहीं समाज कई संगठन व आमजन मानस इससे गुस्से में है और होना भी स्वाभाविक है। लोगों द्वारा रिपोर्ट दर्ज करवाकर हफ्ता भर हो गया है, गरीब विधवा दलित महिला का घर उजाड़ने वाली ग्राम प्रधान के खिलाफ, पुलिस विभाग किस बात का इंतजार कर रहा है? क्या वह बैकडोर समझौते का इंतजार चल रहा है?

मालूम हो कि इस गांव में अनुसूचित जाति के परिवार कई दशकों से गांव के किनारे इस भूमि पर अपने भवन बनाकर रहते हैं, गांव की भीतर बसने नहीं दोगे तो वह कहीं तो बसेंगे ही, अब सड़क का निर्माण होना था तो क्या निर्माणदायी संस्था ने इस कथित अतिक्रमण पर कोई आपत्ति जताई थी? यदि हां तो निर्माणदायी एजेंसी को यह कार्यवाही करनी चाहिए थी। 

ग्राम प्रधान महिला है, महिला होकर संवेदनशील होने की अपेक्षा करते हैं लेकिन वहां से जारी वीडियो में जिस निर्ममता से वह उस कच्चे घर को तोड़ रही है वह मानवीयता को भी कठघरे में खड़ा करता है। बाकी लोग भी तमाशबीन होकर खड़े है। गांव में अतिक्रमण बड़ी समस्या है और उससे बड़ी समस्या है उस अतिक्रमण को हटाना। 

अक्सर गांव में होने वाले अतिक्रमण को हटाने के लिए ग्राम प्रधान अतिक्रमणकारी को पंचायत की ओर से नोटिस जारी करता है, फिर स्थानीय एसडीएम या तहसीलदार के पास प्रार्थना पत्र देकर उस अतिक्रमण को हटाने का अनुरोध करता है, स्थानीय प्रशासन स्थानीय निरीक्षण करने के बाद पुलिस की मौजूदगी में अतिक्रमण हटाता है लेकिन यहां ग्राम प्रधान सीधे सब्बल लेकर पहुंचे और अतिक्रमण हटाने के पर दशकों पुराने एक मकान को ध्वस्त कर दे क्या यह किसी भी दशा में न्यायोचित है?

जिलाधिकारी उत्तरकाशी ने मामले को राजस्व पुलिस से हटाकर रेगुलर पुलिस को मामला दे दिया, 18 जुलाई को एससीएसटी एक्ट समेत अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज भी हो गया लेकिन सप्ताह भर बाद भी पुलिस मामले में ग्राम प्रधान को गिरफ्तार नहीं कर रही है। अब पता चला है कि ग्राम प्रधान देहरादून में है और पुलिस आश्वासन दे रही है कि जल्द गिरफ्तारी होगी। पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठना चाहिए कि आखिर कार्यवाही में इतनी लापरवाही क्यों हो रही है?

कई सामाजिक साथी इस मुद्दे पर आंदोलित है उनको पूर्ण समर्थन करते हुये शासन प्रशासन से अनुरोध है कि पीड़ित महिला को उचित मुआवजा मिले तथा दोषियों को जल्द से जल्द सलाखों के पीछे डाला जाय। इतनी बड़ी दबंगई और असंवेदनशीलता मानवता को शर्मसार करती है। किसी भी गरीब, दलित, महिला आदि के साथ भविष्य में ऐसी पुनरावृत्ति न हो पंचायत को यह ख्याल रखना चाहिए आख़िर रोजी, रोटी, रहन,सहन, जीवन, यापन के साथ उनका भी यह देश, गांव, मकान, माटी अपने जीवन से अधिक प्यारे है। 

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