बीते कल कांग्रेस का एक नेता जितिन प्रसाद भाजपा में शामिल हुआ। बीजेपी के लिये यह अच्छी और कांग्रेस के लिए यह बुरी ख़बर भी थी। लेकिन "बेगानी में शादी में अब्दुल्ला दीवाना" सुबह से लेकर शाम तक उत्सव तो मीडिया मना रहा था।
मैंने आजतक कभी भी जितिन प्रसाद का नाम नहीं सुना था ऐसे में मुझे हैरानी होना स्वाभाविक था कि मीडिया ने इस खबर को इतनी जगह क्यों दी? खासकर जब चुनाव भी काफी दूर और चेहरा भी जनता द्वारा नकारा हुआ एक पार्टी में हाशिये में पड़ा नेता है।
फिर ख्याल आया कि उत्तरप्रदेश में तो राजनीतिक उठापटक चल रही है। योगी से 60 प्रतिशत विधायक असंतुष्ट है उनमें से बड़ी सँख्या कभी भी खिसक सकती है। ऐसे में एक व्यक्ति का आना सारी खबरों को कुछ समय के लिए शांति प्रदान कर सकती है।
आपने भी टेलीविजन देखा ही होगा दिनभर यही चला। आपको पता है कि जितिन प्रसाद नाम शायद आपने भी नहीं सुना होगा? आपको भी पता है कि उत्तरप्रदेश मे भाजपा की राजनीति में कुछ भी ठीक नहीं, ऐसे में यह मुजरा बीजेपी ने मीडिया को सौंपा दिया। मीडिया जमकर नाची, अपना फर्ज और कर्ज दोनों बखूबी अदा किये।।
- आर पी विशाल। (स्वतंत्र पत्रकार)