मेरे भारत को आजादी दो या मेरे कब्र के लिए दो गज जगह दो - मौलाना जौहर
यह काफ़िला फिलिस्तीन जेरुशलम में स्वतन्त्रता सेनानी मौलान मोहम्मद अली जौहर के जनाज़े का है आज ही के दिन 4 जनवरी 1931 को इंतेक़ाल हुआ। तब जेरुशलम इजराइल का हिस्सा नही था। जेरुशलम के मुफ़्ती अमीनुल हुस्सैनी ने मौलाना के जनाज़े की नमाज़ पढ़ाई।
मौलाना लगातार जेल जाने की वजह से सेहत ख़राब हो गई। डायबिटीज के मरीज थे जेल में सही खाना न मिलने की वजह से बीमार पड़ गए। 1930 में जब जेल से बाहर निकले तो बहुत ही ज़्यादा बीमार थे उसके बावज़ूद देश की आज़ादी के लिए वो लंदन की गोलमेज कांफ्रेंस में भाग लेने गए और अपने आखरी भाषण में कहा
"मेरे मुल्क को आज़ादी दो या मेरे कब्र के लिए मुझे दो गज जगह दे दो क्योंकि यहां मै अपने मुल्क की आज़ादी लेने आया हूं।"
उस वक़्त अंग्रेजों ने उनकी बात नही मानी और कुछ महीनो बाद ही लन्दन में उनका इंतेक़ाल हो गया। उनके चाहने वाले उन्हें लन्दन से जेरुशलम ले गए और वही सुपुर्द ए खाक़ कर दिया गया।