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वसीमा, असमा, समीना बनी डिप्टी कलेक्टर, आयुक्त, हिजाब विरोधियों के मुह पर तमाचा

वसीमा, असमा, समीना बनी डिप्टी कलेक्टर, आयुक्त, हिजाब विरोधियों के मुह पर तमाचा
क्या वास्तव में हिजाब सफलता में बाधा बन सकता है?
और राज्य सेवा में 3 साल बाद मुस्लिम युवाओं की वापसी… !!


मेरी प्रिय बहनों, सबसे पहले आपकी सफलता पर बधाई।

आज हमने जो सफलता हासिल की है, उसने निश्चित रूप से समाज की रूपरेखा को उभारा है। आपकी सफलता निश्चित रूप से समुदाय की अन्य लड़कियों को प्रेरित करेगी। उनका आत्मविश्वास और भी बढ़ जाएगा।

इसलिए बहनों, हमने जो सफलता हासिल की है, उससे उन लोगों को राहत मिली है जो हमेशा बुर्का, पर्दा और हिजाब पहनते हैं। बुर्का की तरह, मुस्लिम समाज में घूंघट की प्रथा महिलाओं के साथ अन्याय है और उनकी प्रगति के लिए हानिकारक है। बुर्का और हिजाब पहने लड़कियां शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ रही हैं। उन्हें गुलाम वगैरह बना दिया गया है। ऐसे बहु-तथाकथित आरोपों के साथ आपके स्वाभिमान को ठेस पहुंचाई जा रही थी। आज इन सभी आरोपों को ठोकर मारकर आप ने दिखा दिया के हिजाब सफलताओं में बाधा नहीं और गुलामी की अहि बल्कि आजादी की निशानी है, आपकी सफलता ने उनके चेहरे पर एक थप्पड़ दिया है। और हमारे समुदाय की प्रोफाइल बढ़ाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

कस्बा सांगवी जिल्हा नांदेड़ की वसीमा शेख, यह बिटिया बनी डेप्यूटी कलेक्टर, काबिलियत ना महलों में पलती है, ना बेवकूफी गुरबत में होती है, हर कोई अपने माँ पेट ख़ुदादाद सलाहियतें लेकर आता है, कोई उसे परवान चढाता है, कोई जाया कर देता है, कमाल यह है के तुम हर रुकावट को चैलेंज समझो, दुनिया 12 को डजन कहती है, तो आप 13 को डजन कहकर आगे निकलिए, रेंगनेवाले नही ऊँची उडान वाले बनिये.गैरमामूली काबिलियत को गैरमामूली मेहनत की जोड़ दीजिये, फिर ना गाव, कस्बा, गुरबत, लड़की होना, ना गरीब अनपढ़ मा बाप के घर पैदा होना, शादीशुदा होना, कुछ भी रुकावट नही बनता, कामयाबी आपके कदमो में पड़ी होती है.

1) वसीमा शेख: - डिप्टी कलेक्टर ग्रुप-ए
2) असमा सैयद: - बिक्री कर आयुक्त
3) बागवान समीना बानू, मुंबई-राज्य कर निरीक्षक
4) शेख फैय्याज/पुणे, कक्ष अधिकारी (मंत्रालय)

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