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आदिवासी स्त्रियों का शोषण और धार्मिक कट्टरता को सुनियोजित तरीके से फैलाया जा रहा है- Rajni Murmu

आदिवासी स्त्रियों का शोषण और धार्मिक कट्टरता को सुनियोजित तरीके से फैलाया जा रहा है- Rajni Murmu
फेसबुक पर आने से पहले मैं ये मानती थी कि आदिवासियों की सबसे बड़ी समस्या गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा और अंधविश्वास है ! और इन सब के लिए तत्कालीन सरकार जिम्मेदार है ! संताल महिलाओं के साथ होने वाले दुर्व्यवहार केवल अशिक्षित लोग करते हैं! और कुछ मात्रा में पढ़े लिखे लोग ही करते हैं! अधिकतर पढ़ा लिखा इन्सान शरीफ होता है! हमारे यहाँ जो धार्मिक कट्टरता है वो केवल अशिक्षित व्यक्ति में ही है !


लेकिन यहाँ पता चला कि धार्मिक कट्टरता को सुनियोजित तरीके से फैलाया जा रहा है उपर लेवल से ! और उस कट्टरता में लगभग अधिकतर लोग लिप्त हैं! गरीबी, अंधविश्वास और नशाखोरी पर बात करने के बजाय लोग उसे परम्परा और संस्कृति के नाम पर बढ़ावा दे रहे हैं ! यहाँ तक कि पढ़ा लिखा व्यक्ति भी डायन व्याख्या कर रहा है !

पता चला कि महिलाओं के खिलाफ नकारात्मक माहौल भी बड़े बड़े नेता बना रहे थे ! एक तरह से उसे समाज विरोधी या देशद्रोही का लेबल लगा रहे थे उन महिलाओं पर जो अपनी समस्याओं को लेकर आवाज़ उठा रही थी ! शुरुआती आदिवासी नेता ( बिरसा मुंडा, आरम्भ में शिबू सोरेन भी ) आदिवासी महिलाओं के प्रति संवेदनशील थे ! लेकिन बाद जो नेता थे उन्होंने लगभग आदिवासी महिलाओं को चुपचाप सबकुछ सह जाने के लिए कह दिया ये कह कर कि हमारे पास और भी बड़ी समस्या है ! 


आदिवासी स्त्रियों का शोषण गैर तो करते ही हैं लेकिन अपने भी करते ही हैं इस संबंध में नेताओं ने कहा कि कोई गैर आपका शोषण करेगा तो समाज आपका साथ देगा लेकिन आपने आदिवासी पुरूषों के बारे में कुछ भी नकारात्मक बोला तो आपको समाज विरोधी घोषित कर दिया जायेगा !!
(लेखक Rajni Murmu एकसामाजिक कार्यकर्ता है उपरोक्त विचार व्यक्त किये है)


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