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भुखमरी में भारत के हाल बुरे और उद्योगपतियों का अरबो रुपये कर्ज माफ़

नई दिल्ली। खाद्य सुरक्षा को लेकर शुरू की गई तमाम सरकारी योजनाओं के बावजूद भुखमरी के मामले में भारत की स्थिति अभी भी चिंताजनक बनी हुई है इसे नापने वाले वैश्विक पैमाने ‘ग्लोबल हंगर इंडेक्स ’में देश को ‘चिंताजनक श्रेणी’ में रखा गया है।
‘ग्लोबल हंगर इंडेक्स’ दुनिया भर के देशों में भुखमरी के हालात और इसके मुख्य कारणों पर नजर रखने वाली गैर सरकारी अंतरराष्ट्रीय संस्था ‘इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट’ की ओर से तैयार की गई है। इसमें देशों में भुखमरी की स्थित को वहां बच्चों में कुपोषण,शारीरिक विकास और बाल मृत्यु दर और इसकी रोकथाम के लिए लागू सरकारी नीतियों की सफलता और नाकामी के आधार पर मापा जाता है। यह पैमाना भुखमरी के कारणों को भी प्रमुखता से चिह्नित करता है।



संस्था की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में साल 2000 की तुलना में भुखमरी की स्थिति में चौथाई फीसद सुधार हुआ है लेकिन यह अभी भी चिंताजनक बनी हुई है और भुखमरी सूचकांक में 184 देशों के बीच उसका स्थान 97 वें नंबर पर है। रिपोर्ट कहती है कि अगले छह वर्षों में भारत दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला मुल्क हो जाएगा ऐसे में सरकार के लिए 1 अरब 40 लाख आबादी के लिए पोषण युक्त आहार मुहैया करना बड़ी चुनौती होगी।
रिपोर्ट के अनुसार देश में पांच साल से कम आयुवर्ग के 40 प्रतिशत बच्चे कुपोषण का शिकार हैं जिसके कारण उनका शारीरिक विकास बाधित है। इस स्थिति से निबटने के लिए रिपोर्ट में खाद्य सुरक्षा कानून को और प्रभावी तरीके से लागू करने का सुझाव दिया गया है। कलकत्ता विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान के प्रोफेसर बिप्लव सेन की रॉय हालांकि इस बारे में थोड़ी अलग है उनका मानना है कि सिर्फ कानून प्रभावी तरीके से लागू करना काफी नहीं हेागा क्योंकि कुपोषण और भुखमरी का संबंध साफ सफाई से भी जुड़ा है क्योंकि कई बार जीवाणुओं का संक्रमण भी शारीरिक विकास को बाधित करने की वजह बनता है। इसके अलावा मेडिकल सेवाओं की अनुपलब्धता और आय के स्रोत भी इसमें बड़ी भूमिका निभाते हैं। ऐसे में जबतक ये सारी स्थितियां सुधर नहीं जातीं भातर का भुखमरी के जाल से निकल पाना संभव नहीं होगा।



ग़रीब कतार में खड़े हैं और अमीरों का 7000 करोड़ का क़र्ज़ हुआ माफ़
देश कि जनता कतार में खड़ी है इस बात से बिलकुल बेखबर के लगभग 7000 करोड़ के क़र्ज़ स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने माफ़ कर दिए हैं। सबसे बड़ा मामला है विजय माल्या का जिनकी किंगफ़िशर एयरलाइन्स को दिया गया 1201 करोड़ रुपए क़र्ज़ को अपने खाते से हटा दिया है। उसकी अब कभी वसूली नहीं होगी। डीएनए अख़बार में छपी खबर के मुताबिक, स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया ने टॉप 100 लोन डिफॉल्टर्स की सूची में से 63 लोगों के सात हजार करोड़ रुपए से अधिक के लोन अपनी बैलेंस शीट से हटा दिया है। एसबीआई ने अपनी बकाया राशि को मृत मानकर ऐसा फैसला लिया है। 




एसबीआई के इस क़दम से कई सवाल खड़े हो रहे है जिनके जवाब शायद जल्द न मिल सके हैं।  अखबार ने जो दस्तावेजों पर दावा दिया है इसके अनुसार, एसबीआई की बैलेंस शीट में 63 खाताधारकों के नाम पूरी तरह से लिेखे हैं जबकि 31 खाताधारकों के नाम आंशिक रूप से लिखे हैं और छ: खाताधारकों के नाम का मेंशन नहीं है। 30 जून 2016 को एसबीआई की बैलेंस शीट में 48000 करोड़ रुपए खराब लोन के रूप में दर्ज था। हालांकि बैलेंस शीट में इसके लिखने के समय की तारीख मेंशन नहीं थी।

केंद्र सरकार के एक क़दम ने देश की जनता को सड़कों पर लाइन लगाने पर मजबूर कर दिया है। किसी के घर में खाने को नहीं नहीं है तो कोई लाइन में अपनी आखरी साँस ले रहा है।  वहीं  दूसरी ओर विजय माल्या जैसे बड़े डिफॉल्टर्स के लोन माफ कर उन्हें राहत दी जा रही है।

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