बालाघाट के निवासी नीलकमल मेश्राम ने फेसबुक पर एक पोस्ट जारी कर भरत मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ताओं की बेवकूफी पर आपत्ति जताई है. उन्होंने आरोप लगाया है की, उनकी अनुमति के बिना ही टिकिट भी बनाया और सोशल मीडिया पर वायरल भी किया यह कर्मचारियों के लिए समस्या निर्माण करने वाली हरकत है. उन्होंने भोपाल के फर्जी एनकाउंटर का उल्लेख करते हुए कहा की, FACEBOOK पर एक पोस्ट देखकर मैं आश्चर्य चकित हूँ कि मैं भारत मुक्ति मोर्चा का सक्रिय कार्यकर्ता हूँ और मेरे नाम से train reservation भी भोपाल के लिए अधिवेशन हेतु करा दिया गया है। इसकी गहराई तक जाना बहुत जरूरी है क्योंकि कौन आपको किसी भी संगठन का कार्यकर्ता बताकर एनकाउंटर न करा दे, एनकाउंटर कई तरीके के हो सकते हैं। यह भी एक प्रकार का एनकाउंटर है हो सकता है आपको शासकीय सेवा में परेशान करने हो,हो सकता है आपकी सामाजिक या सांगठनिक accountability खत्म करने के लिए. एनकाउंटर हो ।बालाघाट के 11 लोगों का टिकट बुक कराने के बाद FACEBOOK पर यह post की गई कि इन सक्रिय कार्यकर्ताओं का train reservation भारत मुक्ति मोर्चा के अधिवेशन हेतु करा दिया गया है । जब FACEBOOK के द्वारा पता चला कि मैं भोपाल जा रहा हूँ और BMM का सक्रिय कार्यकर्ता हूँ ,ऐसा ही अन्य लोगों के साथ भी हुआ जिनका reservation करा के FACEBOOK पर वायरल किया गया , जिनका RESERVATION कराया गया है उनमें से कुछ शासकीय कर्मचारी हैं जिनका की किसी राजनीतिक दल से संबंध नहीं है इसके अलावा शेष अन्य लोगों में से कुछ ने बताया कि हम फलाँ राजनैतिक दल के कार्यकर्ता और पदाधिकारी है लेकिन हमें भी इसकी कोई जानकारी नही है । बताइए यह भारत मुक्ति मोर्चा द्वारा एनकाउंटर नहीं तो क्या है?
और एक पोस्ट में वह कहते है की, मैं भारत मुक्ति मोर्चा का कार्यकर्ता नहीं हूँ,मेरी अनुमति के बिना केवल टिकट ही बुक नहीं कराई गई बल्कि बिना सूचना दिए ही Facebook पर इस प्रकार की पोस्ट की गई यह बहुत ही गलत कर्त्य है,मेरे अलावा अन्य लोगों ने भी कहा है कि हमारा train reservation और FB पर पोस्ट बगैर हमें जानकारी दिए किया गया ,मैं भारत मुक्ति मोर्चा की आलोचना नही कर रहा हूँ लेकिन उनके कार्यकर्ता द्वारा किया गया कर्त्य और फिर उनके बचाव में आये कार्यकर्ताओं के comments बहुत ही शर्मनाक है।
उअपरोक्त आरोप संगठन को बदनाम करने के लिए है या सच में संगठन को नुक्सान पहुंचाने वाले बेवकूफ कार्यकर्ताओं की करतूत है यह जांच के बाद ही पता चलेगा. इस पोस्ट पर संगठन के किसी वरिष्ठ कार्यकर्ता/ पदाधिकारी ने कोई स्टेटमेंट नहीं दिया है. गौरतलब है की, जब भी कोई कार्यकर्ता सच्चाई बताता है तब उसकी चारो ओर से आलोचना की जाती है उस कार्यकर्ता को मानसिक तकलीफ दि जाती है, साथ ही उसके खिलाफ कई गतिविधिया शुरू की जाती है जैसे फर्जी केसेस, मित्र परिवार में बदनामी, जहां उन्हें माना जाता है वहां जाकर उनकी बदनामी की जाती है. कुछ लोगो ने संगठन को भक्तो का गिरोह बनाकर संगठन को बदनाम करने का अभियान शुरू किया ऐसे लोगो पर किसी प्रकार की कारवाई करने के बजाये सच उजागर करने वालो को ही प्रताड़ित किया जाता है.(यह खबर सोशल मीडिया पर आधारित है, दैनिक सोशल डायरी इसके समर्थन में नहीं और विरोध में भी नहीं.)