बेंगलुरु में लोग गधी का दूध बिना किसी मोल-भाव के खरीदने को तैयार हैं। यहां लोग गधी के एक चम्मच दूध के लिए 50 रुपए चुका रहे हैं। कृष्णप्पा कोलार से है और उनका फुलटाइम व्यवसाय गधी का दूध बेचना है।
लक्ष्मी (गधी का नाम) दूध नहीं बल्कि पैसा दुहने की मशीन कही जा सकती है। नवजातों की मांएं तो गधी की दूध की कोई भी कीमत चुकाने को तैयार हैं। ऐसा माना जाता है कि गधी का दूध नवजातों की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है जिससे कई बीमारियों से लड़ने में उन्हें मदद मिलती है।
कृष्णप्पा लक्ष्मी को साथ में लिए हुए गलियों से गुजरता है और कन्नड़ में जोर-जोर से चिल्लाता है - गधी का दूध ले लो...अस्थमा, ठंड, खांसी से राहत दिलाने में फायदेमंद। आपके बच्चों की सेहत के लिए सेहतमंद दूध...।
एनबीटी के अनुसार सुदीप शेट्टी जोकि आयकर विभाग, विश्वनदीम में काम करते हैं, सोमवार को पहली बार लक्ष्मी और उसके मालिक से मिले। उन्होंने अपने बेटे के लिए गधी का दूध खरीदने में एक मिनट भी नहीं लगाया। वह कहते हैं, मैंने अपने भाई से गधी के दूध के विशेष पौष्टिक गुणों के बारे में सुना था। कई किताबों में भी यह बात पढ़ी है कि गधी के दूध में बच्चों की बीमारियों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की क्षमता होती है। रोजाना गधी का दूध मिलना संभव नहीं है इसलिए जब हमें घर के दरवाजे पर गधी का दूध खरीदने
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गधी के दूध के पौष्टिक गुणों पर कई और विशेषज्ञों का भी भरोसा है। यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर साइंस में डेयरी साइंस के विशेष अधिकारी जयप्रकाश एचएम बताते हैं, गधी का दूध मां के दूध के समान पौष्टिक है। इसमें लाइसोजाइम जैसे तत्व पाए जाते हैं। प्रतिरोधी क्षमता के लिए यह बहुत ही फायदेमंद है।
जयप्रकाश के अनुसार, गांवों में गधी का दूध मां के दूध का बढ़िया विकल्प माना जाता है। नवजातों को गधी का दूध का एक चम्मच पिलाने की प्रचलन है, अगर मां का स्वास्थ्य ठीक नहीं है तो गधी का दूध मां के दूध का एक बहुत बढ़िया विकल्प है। हालांकि गधी का दूध व्यावसायिक तौर पर नहीं बेचा जा सकता है क्योंकि गधी के दूध का उत्पादन बहुत ही कम पैमाने पर होता है। हालांकि न्यूट्रशनिस्ट शीला कृष्णास्वामी का कहना है कि अभी तक आहार विज्ञान में इसके फायदों का कोई प्रमाण नहीं मिलता है।
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