कल कुछ ढ़ुंड़ रहा था तभी एक लफ़्ज़ मिला 'Reconquista' जिसे उर्दु मे استرداد कहते हैं.
रिक़ोन्क़ीस्ता Reconquest (वसूली) के बारे मे पढ़ने के बाद पता चला हम कित्ते ग़फ़लत मे हैं...
रिक़ौन्क़ीसता (Reconquista) ईसाइयों की साढ़े सात सौ साल लंबे उन जद्दोजेहद को कहा जाता है जो उन्होंने द्वीप नुमा आइबीरिया से मुसलमानों को निकालने और उनकी सरकार को उखाड़ फेकने के लिए की। इसके लिए पुरी ईसाइ दुनिया ने तरह तरह की साज़िशे की , मुसलमानो को मसलको मे बांटा गया , इलाक़ो मे तक़सीम किया गया , क़बिले के नाम पर बांटा गया , उनकी ज़ुबान अंदलुसिया अरबी को ख़त्म किया गया , इस्लामी तालीमात को ख़्तम किया गया और आख़िर मे पुरे स्पेन से मुसलमानो को ख़्तम कर दिया गया और सब आज भी जारी है.
711 में ख़िलाफ़त बनु उमय्या के हाथों स्पेन की जीत के बाद इसाई दुनिया मे ज़बरदस्त बौखलाहट की शुरूआत हुई..
722 ई° में कवोआडोंगा की जंग के बाद से रिक़ौन्क़ीसता
की शुरुवात हुई जिसमे मुसलमान पहली बार इसाई फ़ौज से हार गए थे.. और कहने को रिक़ौन्क़ीसता का ख़ात्मा 1492 ई.में हुआ।
722 ई• के बाद आपसी रंजिश और ईसाई दुनिया के हमले झेलते झेलते 500 साल के वक़्फ़े मे अल-उनदलुस(स्पेन) काफ़ी छोटा हो गया , फिर 1236 ई. कु़रतुबा(Córdoba) भी मुसलमानो से छीन ली गई और मस्जिद ए क़ुरतुबा को गिरजाघर मे तबदील कर दी गई.
अधिकांश आंदालुसिया पर ईसाइयों ने क़ब्ज़ा कर लिया तथा आंदालुसिया पर मुसलमानों का वैभवशाली एवं विशाल शासन केवल दक्षिण में ग्रेनेडा और कुछ दूसरे छोटे नगरों तक सीमित हो कर रह गया।
11वीं सदी में सुल्तान आल्मोराविद के दौर ए हुकुमत में ग्रेनाडा शक्ति और प्रभाव के मामले में अपने चरम पर था. 1238 में स्पेन के कई हिस्सों पर ईसाई सेनाओं ने मूर शासकों को हराते हुए वहां कब्जा करने का सिलसिला शुरू किया.
फिर 1238 में मुहम्मद बिन अलअहमर के क़ियादत मे स्पेन में मुसलमानों के आख़री मजबूत गढ़ गरनातह(ग्रेनाडा) को कशतालह के फर्डीनंड सोम के हाथों हार हुई और एक समझौते के तहत गरनातह(ग्रेनाडा) अगले 250 सालों तक ईसाई साम्राज्य के झंडे तले एक मुसलिम रियासत बना रहा। इस कारण देश के बाकी हिस्सों से ज्यादातर मुसलमान दक्षिणी स्पेन के ग्रेनाडा के इलाकों में बसने लगे.
धीरे धीरे ग्रेनाडा का साम्राज्य मूरिश सभ्यता का इकलौता सबसे बड़ा गढ़ बन कर रह गया. इन दो सौ सालों की अवधि में ग्रेनाडा का खूब सांस्कृतिक और आर्थिक विकास हुआ. 15वीं शताब्दी के अंतिम चरण में कई आंतरिक झगड़ों के चलते स्पेन में ईसाई राजा फेर्डिनांड और ईसाबेला की राजशाही काफी ताकतवर बन कर उभरी. इसके चलते देश में ज्यादातर जगहों पर उन्होंने कई सदियों से चले आ रहे मूरिश साम्राज्य का ख़ात्मा कर दिया.
फिर 2 जनवरी 1492 ई. को गरनातह(ग्रेनाडा) के अंतिम मुस्लिम शासक अबू अब्दुल्लाह ने स्पेन के बादशाह फेर्डिनांड पंचम और रानी ईसाबेला प्रथम की ईसाई सेनाओं के सामने हथियार डाल दिए , जिसके वजह रोमन कैथोलिक समुदाय ग़ालिब हो गई।
ग्रेनाडा के हाथ से निकलने के साथ ही स्पेन में मुसलमान मूर शाहों का साम्राज्य खत्म हो गया.
इसके बाद 1502 में स्पेनी शासन ने सभी मुसलमानों को जबरदस्ती ईसाई बनाने का आदेश दे दिया. अगली पूरी शताब्दी अनगिनत अत्याचारों की गवाह बनी और 1609 तक भी मूर वंश के जिन लोगों ने इस्लाम धर्म नहीं छोड़ा, उन्हें स्पेन से देश निकाला दे दिया गया.
आंदालुसिया के ज़वास में ईसाइयों का दबाव, पश्चिमी ईसाइयों की ओर से मुसलमानों के बीच फूट डालने की नीति, समाज विशेषकर युवाओं में अनैतिक कृत्यों का विस्तार जैसे कारक इस महान इस्लामी संस्कृति के पतन का कारण बने।
कहने को तो Reconquista ख़त्म हो चुका है पर ये आज भी हु बहु जारी है , या कहे की और भी ख़तरनाक इरादा ले कर ये अपने मक़सद की तरफ़ बढ़ रहा है. इसका कुछ नमुना सिसली मे देखने को मिला , लीबिया , अलजीरिया , मोरक्को पर 19वीं और 20वीं सदी मे योरप की फौजी कारवाई के तौर पर देखने को मिला, उस्मानियो से आज़ादी मिलने के बाद आरमानिया मे देखने को मिला के किस तरह से वहां इस्लामी धरोहर को ख़त्म किया गया, 1940 के बाद से फ़लस्तीन मे देख़ने को मिला के किस तरह पुरी ईसाइ और यहुदी क़ौम ने मिल कर मुसलमानो के पाक सरज़मीन(बैतुल मुद्दस जहां मस्जिद अक़सा है) पर नाजाएज़ क़ब्ज़ा कर वहां के मुसलमानो का क़त्लेआम किया जो आज तक जारी है, 1990 को बाद बालकन के इलाक़ो मे देखने को मिला के किस तरह सरबिया के ईसाइयो ने निहत्थे मुसलमानो का बालकन के इलाक़ो मे क़त्लेआम किया और उन्हे अपने ही मुल्क से निकलने पर मजबुर किया , इसी साज़िश के तहत मुस्लिम मुल्क सुडान को तोड़ कर नई ईसाइ रियासत बनाई गई और कभी ना ख़त्म होने वाले जंग मे लोगो को झोंक दिया गया, मलेशिया और इंड़ोनेशिया के बीच मे बीच एक इसाई रियासत ज़बरदस्ती बनाई गई , इसका नमुना आज भी आपको अफ़्ग़ानिस्तान , इराक़ , सिरिया , लेबनान मे देखने को मिल जाएगा.
इसलिए आंख खोल कर रखिये, साज़िशों से बचिए और मसल्की इख़्तेलाफ़ात को दुर कर एक उम्मत बनिये वरना जिस तरह से स्पेन से निकाले गए वैसे ही कई मुल्क से निकाल दिए जाईयेगा जिसका एक नमुना आपको बर्मा के रोहंगिया मुस्लमानो के तौर पर देखने को मिल रहा है.
जिस तरह से मस्जिदे क़ुरतुबा(अपने वक़्त की सबसे बड़ी मस्जिद) पर क़ब्ज़ा कर लिया गया है वैसे ही कई बड़ी मस्जिद पर कब्ज़ा कर लिया जाएगा जिसका नमुना मस्जिद ए अक़सा है जो क़िबला ए औवल होने को बाद भी यहुदीयों के कब्ज़े मे है.
घर को आग लगती है घर के चिराग़ से या फिर कहें घर का भेदी लंका ढाए , इसलिए दुशमनो से अधिक दोस्तो पर नज़र रखो क्योंके गद्दार हमेश दोस्त ही होता है.
मीर ज़ाफर , मीर सादिक़ याद होगा ही