भारतीय मीडिया में फिलहाल डॉक्टर जाकिर नाईक को लेकर घमासान मचा हुआ है. करोडो लोगो का कहना है की, जाकिर नाईक ने कभी आतंकवाद का समर्थन नहीं किया इस बात को लेकर कई मुस्लिम और हिन्दू जाकिर नाईक के सपोर्ट में खड़े हुए है. और कई बुद्धिजीवियों ने कई तरह तरह के इल्जाम मीडिया पर लगाए है. मीडिया को सोशल मीडिया पर बिकाऊ मीडिया घोषित किया गया है. डॉक्टर जाकिर नाईक का विरोध भारतीय मीडिया सिर्फ मोदी सरकार के 45 हजार करोड़ के घोटाले को छुपाने के लिए क्र रही है ऐसी प्रतिक्रया जब आने लगी तब कांग्रेस ने इस घोटाले को जनता के सामने रखा. हिन्द खबर डॉट इन में प्रकाशित खबर हम आपको निचे दे रहे है.
मोदी सरकार ने 45000 करोड़ का टेलीकॉम घोटाला करके छुपायाः कांग्रेस
कांग्रेस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र की मोदी सरकार पर 45 हजार करोड़ के टेलीकॉम घोटाले का आरोप लगाया है। इसमें कहा गया कि सरकार ने अपने पूंजीपति दोस्तों को नियमों को दरकिनार करते हुए फायदा पहुंचाया और अब इसे छुपाने की कोशिश कर रही है। यह घोटाला मनरेगा के बजट से भी ज्यादा है।
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला, शक्ति सिंह गोहिल और आर पी एन सिंह ने संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, ''ताजा टेलीकॉम घोटाला करीब 45 हजार करोड़ रुपये का है और यह मोदी सरकार की ओर से दबाया गया।''
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने छह टेलीकॉम कंपनियों के हितों की सुरक्षा के लिए कदम उठाया और इनकी मदद सरकार को शुल्क के भुगतान करने से बचा कर की। साथ ही दावा किया कि यह स्पष्ट मामला है और सरकारी राजकोष को नुकसान की पुष्टि कैग की ओर से हुई है जिसका एकमात्र उदेश्य सांठगांठ वाले पूंजीपतियों की सहायता करना है।
सुरजेवाला ने जिन टेलीकॉम कंपनियों का नाम बताया उनमें भारती, एयरटेल, वोडाफोन, रिलायंस, आइडिया, टाटा, एयरसेल शामिल हैं।
केंद्र सरकार ने कांग्रेस पार्टी के आरोप को खारिज करते हुए गुरुवार रात कहा कि छह टेलीकॉम कंपनियों द्वारा अपनी कमाई को घटाकर बताए जाने संबंधी कैग रिपोर्ट 2006-07 से 2009-10 तक संप्रग सरकार के समय की है। सरकार ने कहा है कि उसने भारती, आरकाम व वोडाफोन जैसी कंपनियों से धन की वसूली की प्रक्रिया शुरू की है। बयान के अनुसार, 'इस तरह से सरकार को किसी तरह का राजस्व नुकसान नहीं हुआ है।' विभाग ने बयान में कहा,'सरकार चूककर्ता कंपनी से पूरी राशि मय ब्याज व जुर्माने के कम से कम समय में वसूलने को प्रतिबद्ध है।'
टेलीकॉम विभाग ने इस बारे में एक बयान जारी किया है। इसमें कहा गया है, ''छह टेलीकॉम सेवा प्रदाता कंपनियों द्वारा अपने कारोबार को घटाकर बताने संबंधी कैग की रिपोर्ट फरवरी 2016 में प्राप्त हुई। यह रिपोर्ट 2006-07 से 2009-10 तक चार साल से जुड़ी है जो कि इस सरकार के कार्यकाल से पहले की है।'' इसके अनुसार इस रिपोर्ट में लाइसेंस शुल्क व स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क मद में 5000 करोड़ रुपये जबकि ब्याज मद में 7000 करोड़ रुपये की कमी को रेखांकित किया गया है। उक्त छह टेलीकॉम सेवा प्रदाता कंपनियों में भारती एयरटेल, वोडाफोन, एयरसेल, रिलायंस कम्युनिकेशंस, टाटा टेली व आइडिया हैं।