Type Here to Get Search Results !

Click

आज देश को औरंगजेब की सख्त जरूरत है - राजीव शर्मा

चेतावनी- यह लेख किसी भी व्यक्ति को आधार बनाकर नहीं लिखा गया है। अगर किसी प्रकार की कोई समानता पाई गई तो वह स्वयं जिम्मेदार होगा।

मुझे इतिहास पसंद है, इसलिए नहीं कि मैं उसी में जीने का आदी हूं, बल्कि इसलिए कि मैं इतिहास को एक सबक मानता हूं। खासतौर से आजाद भारत का इतिहास ऐसा है जो मुझे ज्यादा खुशी नहीं देता। मैं इसे जब भी पढ़ता हूं तो निराशा ही मिलती है। 

इस दौरान जिसे सत्ता का मौका मिला, उसकी छत्रछाया में लुटेरों ने इस देश को लूटा। चाहे मुल्क का मुखिया कितना भी ईमानदार रहा हो, अगर उसका साया देखकर बेईमानों में खौफ पैदा न हो तो मैं उसे भी इस गिरोह का गुनहगार कहूंगा।
नेता, अफसर, पुलिस, भ्रष्ट सरकारी कर्मचारी - आज सब लुटेरों के गिरोह का हिस्सा बन गए। जनता किससे फरियाद करे, किसके द्वार पर जाए? सब मौन हैं। आप इनका वेतन लाखों में कर दीजिए, मगर इनका पेट है कि भरता ही नहीं। देश में संसाधनों की कमी नहीं है लेकिन सरकारी तंत्र ऐसा भ्रष्ट नाग है जो इन पर कुंडली मारकर बैठा है। 

न उसे गरीब के आंसू दिखते हैं, न विधवाओं की चित्कार सुनती है, न उसकी नजर उस किसान तक जाती है जो कर्ज न चुकाने से खुदकुशी करता है। वह तो खुद में ही मस्त है। वह और ज्यादा आराम चाहता है और ज्यादा रिश्वत चाहता है। हमारे राजनेताओं का क्या कहना! बस यह समझिए कि आंखों पर गांधारी की तरह पट्टी बांध ली है या फिर धृतराष्ट्र बनने की कसम खा रखी है। सरकार किसी की भी आई हो, लूटतंत्र बदस्तूर चलता ही रहा।  

क्या इसका कोई समाधान भी है? कहीं ऐसा न हो कि सहते-सहते एक दिन जनता विद्रोह कर दे और हमारे प्रधानमंत्री को अमरीका में उनके मित्र बराक के यहां शरण लेनी पड़ जाए।

आजादी से पहले फांसी पाते शहीदे-आजम भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, जान की बाजी लगा देने वाले नेताजी सुभाषचंद्र बोस और देश को एकता के धागे में पिरोने की कोशिश करते गांधी और पटेल ऐसे नाम हैं जिनके हम सदा अहसानमंद रहेंगे। अगर ये न होते तो आज इस देश की आत्मा खो चुकी होती। 

मैं महात्मा गांधी की बहुत इज्जत करता हूं, क्योंकि उन्होंने एकता पर ज्यादा जोर दिया है। वे राष्ट्रपिता हैं। पिता हमेशा अपने परिवार को एक देखना चाहता है। उन्होंने उस तख्त को चुनौती दी थी जिसकी हुकूमत में कभी सूरज नहीं ढलता था। अंग्रेजों के शासन में भी कई खूबियां थीं लेकिन मेरा दिल उस शासन की बहुत तारीफ नहीं करना चाहता।

अंग्रेज बहुत अनुशासित, अपनी मातृभूमि ब्रिटेन के प्रति बहुत वफादार, दूरदर्शी, कूटनीतिज्ञ थे। दोष उनमें एक ही था, जब दुनिया में उनकी विजय का डंका बजने लगा तो वे अहंकारी हो गए और जोर-जुल्म पर उतर आए। यहीं से उनके पतन की पटकथा लिखी गई तथा ब्रिटेन का सूरज अस्त हो गया।




औरंगजेब को मैं ऐसा बादशाह समझता हूं जिसका लोगों ने एक ही पक्ष देखा। कहा जाता है कि औरंगजेब ने एक वक्त की नमाज नहीं छोड़ी और न उसने अपने एक भी भाई को छोड़ा। यह एक अलग विषय है जिस पर मैं फिर कभी लिखूंगा। 
मैं सबसे पहले औरंगजेब की गलतियों का जिक्र करूंगा। खासतौर से गुरु गोविंद सिंह और शिवाजी महाराज से दुश्मनी, जिसका देश को बहुत नुकसान हुआ। औरंगजेब बादशाह था, उसे थोड़ा बड़ा दिल दिखाना चाहिए था। अगर वह इन दोनों शूरवीरों को राजी कर लेता तो हमारा देश बहुत मजबूत होता। फिर वह तो जमाना ऐसा था जब संचार के साधन नहीं थे। बादशाह तक सूचना पहुंचने में कई दिन और हफ्ते लग जाया करते थे। 

ऐसे में कई गलतफहमियां पैदा हो जातीं और खुद बादशाह भी उन बातों पर यकीन कर लेता। गुरु गोविंद सिंहजी से दुश्मनी ऐसी ही घटनाओं का परिणाम था। आखिरी समय में औरंगजेब गुरु महाराज से मिलना चाहता था, लेकिन उससे पहले ही उसकी मौत हो गई। 

इन सबके बावजूद मैं औरंगजेब के शासन में जिस चीज को काबिले तारीफ पाता हूं वह है प्रशासन पर उसकी पकड़। वह बहुत कम संसाधनों का इस्तेमाल करता था। बहुत ज्यादा ईमानदार था और अपने कर्मचारियों से भी यही चाहता कि वे ईमानदारी से जीएं। 

वह रिश्वत, इनाम, बख्शीश, प्रलोभन जैसी चीजों से नफरत करता था। उससे पहले राजदरबारों में ऐसी प्रथाएं थीं। उसने सख्ती बरती और इन पर रोक लगाई। उसके शासन में सरकारी कर्मचारी सिर्फ काम करते थे। जनता की सेवा करना ही उनका एकमात्र लक्ष्य होता था। घूस मांगने वालों पर औरंगजेब कभी रहम नहीं करता था। जनता की कमाई खुद पर उड़ाने वालों को वह माफ नहीं करता था।

यही कारण है कि जब शाहजहां ने ताजमहल पर करोड़ों रुपए लगा दिए तो औरंजेब ने उसे जेल में डाल दिया। पूछा, बादशाह रहते आपको क्या हक था कि बीवी की याद में इतनी शानदार इमारत बना दी, करोड़ों खर्च कर दिए? उसका मानना था कि बादशाह को सराय, कुएं, नहरें और सड़क बनवानी चाहिए। 

यहां तक कि जब औरंगजेब की मौत हुई, तो उसने मरने से पहले ही कफन-दफन के बारे में सख्त नसीहत दी। बेकार खर्चा करने, बड़े-बड़े मकबरे बना देने, कब्र को सजाने में करोड़ों रुपए फूंक देने से मना कर दिया। आज भी उसकी कब्र खुले आसमान के नीचे तथा कच्ची है। न कोई विशेष भव्यता, न शानो-शौकत। असल में औरंगजेब ऐसा बादशाह था जिसने फकीरी में ही बादशाही की। 

औरंगजेब के राज में सरकारी दफ्तरों में काम तेजी से होता था। घूसखोर अफसर-कर्मचारी मृत्युदंड पाते थे, चाहे उसका धर्म हिंदू हो या इस्लाम। शराब पर पूरी तरह से प्रतिबंध था। कोई भी महिला भरे बाजार में सोने की गिन्नियां लेकर जा सकती थी। किसकी मजाल थी कि उसे हाथ भी लगा दे! जो उसे छेडऩे या गिन्नियां लूटने की गुस्ताखी करता, दूसरे दिन फांसी के फंदे पर लटका मिलता।

आज तो देश का हाल ये है कि जन्म प्रमाण पत्र से लेकर मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए घूस देनी पड़ती है। माता-बहनें कहीं भी महफूज नहीं। लोग बेटियों को इसलिए बाहर नहीं भेजते कि कहीं कोई दरिंदा बलात्कार न कर जाए। जब फरियाद लेकर लोग पुलिस के पास जाते हैं तो वह बातचीत की शुरुआत ही तेरी मां की, तेरी बहन की से करती है। बताइए, जनता जाए तो जाए कहां? 

सरकारी दफ्तरों में ऐसे-ऐसे लोग भर रखे हैं जिनकी दिलचस्पी सिर्फ और सिर्फ वेतन लेने और आराम करने में है। काम के नाम से उन्हें चक्कर आने लगते हैं। हमारे अधिकांश राजनेताओं को मालूम ही नहीं कि देश की समस्याएं क्या हैं, काम कैसे किया जाए, हमारी जरूरतें कौनसी हैं। उनके लिए तो असल समस्या सिर्फ चुनाव जीतना है ताकि अगले 5 साल फिर उसी जनता की छाती पर मूंग दल सकें। 
देश के राजनेताओं, कान खोलकर सुन लो, हमें मंदिर-मस्जिद के नाम पर बहुत लड़ा चुके। अब बंद करो यह तमाशा। तुम हो कौन हमारे लिए मंदिर-मस्जिद बनाने वाले? हम जब चाहेंगे, खुद बना लेंगे। अगर बना सकते हो तो स्कूल बनाओ, अस्पताल बनाओ, गरीबों के लिए घर बनाओ। हमें दंगों के दाग नहीं चाहिए, दे सकते हो तो हमें रोटी दो, वर्ना सत्ता का यह नाटक बंद करो। 

ऐसा शासन जो न भूखे को रोटी दे सके, न बेघर को छत, न दरिंदों से बच्चियों की हिफाजत कर सके, न उस हाथ को रोक सके जो किसी औरत की अस्मत लूटने को उठे, जो बड़े लोगों से गले मिलने को बेताब हो लेकिन किसानों के कंधे पर हाथ न रख सके, मैं कहता हूं, वह धोखा है, बदमाशी है, जालसाजी है, फरेब है, पाखंड है। अगर इसी को लोग शासन कहते हैं तो मैं कहूंगा कि अंग्रेज इनसे ज्यादा इन्साफ पसंद थे और औरंगजेब सबसे अच्छा शहंशाह।
राजीव शर्मा



Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad

Hollywood Movies