एसडी ब्यूरो
बंगलादेश की विवादित लेखिका कुछ दिनों से फिरसे मीडिया और सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी हुई है. हर वह विवादित हमेशा अच्छे लोगो से ज्यादा चर्चा में रहता है. इसका कारण यह है की, विवादित लोगो पर प्रतिक्रया करने वालो में दो तरह के लोग होते है एक वह जो विवाद का सिर्फ इसलिए समर्थन करते है की जिसके खिलाफ विवादित बयान हो उनको जानकारी के अभाव में फिजूल अपना दुश्मन मानते है. और दुसरे वह लोग जो विवाद को विवाद और गलत को गलत कहने वाले लोग.
हाल ही में तसलीमा नसरीन ने ट्विट किया की, “ मैं क्यों रोजा रखूं ? रोजा रखने को मैं बेवकूफ नहीं हूँ” मैडम कितनी बेवकूफ है यह आप ही बताए. मैडम ने जानकारी के अभाव में ऐसा ट्विट किया. क्योंकि वह सिर्फ भूखा रहने को रोजा मानती है. रोजा किसको कहते है आईये जानते है.
01. आँखों का रोजा - किसीकी भी औरत पर बुरी नजर ना डाले और बुरे काम होते दिखाई दे तो उसे जरुर रोके. ऐसा नहीं करने पर आपका रोजा नहीं माना जाएगा.
02. जुबान का रोजा - गन्दी गालियाँ ना दे, झूठ ना बोले, किसीकी गीबत या चुगली करने से भी रोजा नहीं होगा.
03. हाथो का रोजा - अपने हाथ किसी भी गैर इंसानियत कार्य के लिए उठाने या चलाने से रोजा नहीं होगा.
04. दिल दिमाग का रोजा - अपने दिल में किसीको धोका देने के बारे में सोचना, किसी बेगुनाह के खिलाफ सिर्फ अपने स्वार्थ के लिए षडयंत्र करना, किसीको नुक्सान देने के लिए योजना बनाना इससे रोजा नहीं होगा.
05. पेट का रोजा - रोजा रहने का एक मुख्य मकसद यह है की, भूख की शिद्धत को महसूस करना और भूखे को खाना खिलाना, वो कहते है ना जबतक ठोकर नहीं लगती इंसान सुधरता नहीं. आज भारत में आधा भारत भूखा सोता है. बचा आधा भारत अगर रएक महीने का रोजा रखे तो 11 महीने उन लोगो के बारे में सोचेगा जो भूखा रहता है. और उनके खाने के इन्तेजाम में लगेगा. रमजान में दान को सबसे ज्यादा महत्त्व दिया गया है.
रमजान में दान का महत्त्व - रमजान में हर उस इसान के लिए अनिवार्य है के 01.75 किलो अनाज दान करे, फिर वह बुढा हो, जवान, बच्चा या फिर पेट में पल रहा 08 महीने का बच्चा. इन सबको दान देना अनिवार्य किया गया है.
इसमें कुछ इस तरह की शर्ते है. जो खुद खाने के लिए मोहताज है उसपर यह अनिवार्य नहीं. जब बच्चा पेट में हो तो उस बच्चे के बाप या फिर उसके पालक पर उसके नाम से दान देना अनिवार्य है. जो कमाते नहीं ऐसे बच्चे या बूढ़े बुजुर्ग के नाम का दान उनको देना अनिवार्य है जो इनके पालक है. अगर मान लो देश में यह कानून को 10 करोड़ लोग मानते है तो कम से कम एक महीना दुसरे दस करोड़ लोग भूखे नहीं सोयेंगे यह बात पत्थर की लकीर है.
अब आप बताओ तस्लिमाबाई उपरोक्त काम करने वाले लोग अगर बेवकूफ है तो. इसका मतलब यही होगा की आप इंसान ही नहीं हो. और बंगाल की मुख्यमंत्री ने भी रोजा रखा, कई मुस्लिम और गैर मुस्लिम फौजी भी रोजा रखते है, चीन में रोजा रखने पर पाबंदी लगाई गयी है, फिरभी लाखो लोग रोजा रख रहे है. फलिस्तीन में इतने हालात नाजुक है फिरभी लाखो लोग रोजा रख रहे है, भारत में तो लाखो गैर मुस्लिम रोजा रखते है. तो आप बताओ तस्लिमाबाई करोडो लोग बेवकूफ और आप अकेली छोटीसी विवादित लेखिका सयानी होना इस बात को कौन स्वीकार करेगा ? हमने आपका मकसद समझ लिया है. बस यह जानकारी हमारे पाठको तक पहुंचाना जरुरी था हमें. आपका मकसद है कुछ भी करो, किसीके भी खिलाफ कुछ भी बोलो, और चाहे कुछ भी हो जाए इससे आपको कुछ लेना देना नहीं. बस आपका मकसद है हमेशा से चर्चा में रहना. आपने अपने कलम को धंदा बना लिया. धन्यवाद
दोस्तों कल को तस्लिमाबाई कहे की शेर, बब्बर शेर, हाथी यस सब अंडा देते है ऐसा कहे तो आप को आश्चर्य ना हो. सोच कभी भी किसीको भी आ सकती है.