फिलहाल स्वघोषित सेकुलर लोगो ने कन्हैया कुमार और रोहित वेमुला को भुला दिया, वह बात अलग है की, डीएसपी जियाउलहाख और अखलाख को कभी याद भी नहीं किया खैर......
फिलहाल सोशल मीडिया एवं भारतभर में प्रणव धनावड़े चर्चा का विषय बना हुआ है. याद रहे प्रणव धनावड़े विदेशी खेल के खिलाड़ी है. जिनको एकलव्य घोषित किया जा रहा है. लेकिन बेगुनाह मुसलमान नौजवानों को साजिश के तहत कई सालो तक जेल में बंद कर फिर बाइज्जत बरी किया जाता है. इनकी जिंदगी से खेला जाता है. मूलनिवासी/स्वदेशी लोगो के साथ मूलनिवासी/स्वदेशी षडयंत्र होता है. कोई उफ्फ तक नहीं कहता. ये है सेकुलरिज्म.......
इस दौर में ना कोई सेकुलर है ना कोई कमुनल. बस हवा के झोंके के साथ बहने वाले मतलबी और जातीयवादी लोगो की संख्या बहुत बढ़ गयी है. हर कोई अपने जाती धर्म का परचम लिए घूम रहा है. इंसानियत नाम की कोई चीज ही नहीं बची.
गौर करने वाली बात तो यह है की, कन्हैया के साथ भी मुसलमान थे, रोहित वेमुला के साथ भी मुसलमान थे, भोतमांगे परिवार के हत्याकांड के वक्त भी मुसलमान आंदोलन में उतरे दिखाए दिए, यहांतक की निर्भया मामले में भी मुसलमान खडा हुआ. लेकिन जियाउलहख के वक्त मुसलमान अकेला, अखलाख के साथ मुसलमान अकेला, मोहसिन के साथ मुसलमान अकेला, और जेल में सड़ने के लिए भी मुसलमान अकेला, और बाइज्जत बरी होने के बाद भी मुसलमान अकेला.........