भारत मे दिन ब दिन इसलमोफोबिया बढ़ता ही जा रहा है । किसी मुस्लिम व्यक्ति ने कोई गलत काम किया तो उनके मजहब और सारे मुसलमानो को कटघरे में खड़ा किया जाता है । गोदी मीडिया आसमान सर पर उठा लेती है और गांजा पीकर तांडव करने लगती है । जब कोई गैरमुस्लिम गुनाह करता है तो कोई चर्चा तक नही होता । और सरकार के सपोर्ट से बाइज्जत बरी किया जाता या जमानत मिल जाती । जब बात मुस्लिम की आती है तो बेगुनाह होते हुए भी 20-25 साल जेल में सड़ाकर निर्दोष मुक्त किया जाता है ।
आपको बता दें कि, दिल्ली की एक अदालत ने 'बुल्ली बाई' मामले के आरोपी नीरज बिश्नोई और 'सुल्ली डील्स' ऐप के निर्माता ओंकारेश्वर ठाकुर को मानवीय आधार पर जमानत दे दी। अदालत ने माना कि आरोपी पहली बार अपराधी बने हैं और लगातार जेल में रहना उनके के लिए हानिकारक होगा।
अदालत ने आरोपी व्यक्तियों पर सख्त शर्तें लगाई हैं, ताकि वे किसी गवाह को धमका न सकें और किसी भी सबूत को खराब न कर सकें। शर्तों में यह शामिल है कि आरोपी व्यक्ति किसी भी पीड़ित से संपर्क करने, प्रभावित करने, प्रेरित करने का प्रयास नहीं करेगा।
आदेश में कहा गया है कि आरोपी व्यक्ति सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करेगा, जांच अधिकारी को अपना संपर्क विवरण देगा, अपना फोन चालू रखेगा और आईओ को अपनी जगह को बारे में बताएगा। इसमें कहा गया है कि आरोपी देश नहीं छोड़ेंगे और हर तारीख को अदालत के सामने पेश होंगे, जमानत पर रहते हुए एक समान अपराध नहीं करेंगे।