कुछ समय पहले एक प्रख्यात अभिनेत्री ने कुछ ऐसा कह दिया कि वह सुर्खियों में आ गईं।
उस समय, "मी तू " आंदोलन की शुरुआत थी। और उस अभिनेत्री के बयान से अन्य अभिनेत्रियों और हँसतियों ने अपने अपने अनुभव साझा करना शुरू कर दिया। कुछ इतने विवादित थे लेकिन लोगों के सामने बॉलीवुड की काली तस्वीर सामने आई।
जो "Me Too" से वास्तव में पीड़ित थीं और अपने अनुभव साझा करनें लगीं, उन्हें नज़रंदाज़ कर दिया गया और पीछे धकेल दिया गया।
हाल ही में, एक मशहूर अभिनेता ने पुरषों को लेकर एक और विवादित बयान दिया जो आज भी सुर्खियों में है।
जब यह हस्तियाँ ये जानते हैं कि इन्हें समाज में प्रेरणास्रोत का दर्जा दिया जाता है, लोग इनकी बातों को गंभीरता से लेतें हैं, फिर भी सुर्खियों में रहने के लिए ये कुछ न कुछ उटपटांग बोलकर लोगों की नज़रों में रहना चाहते हैं।
जब मैं किशोरी थी, तब हम लड़कियों में एक प्रचलन सा था। और वह था बॉयफ्रेंड का। यानी कि हम लड़कियों का बॉयफ्रेंड होना। और यदि हमारा ब्रेकअप हो जाता या मनचाहा बॉयफ्रेंड नहीं बनता, तो सबकी ज़ुबान पर एक ही बात रहती थीं: "सब लड़के एक जैसे हैं।"
ठीक इसी तरह, लड़कों में भी यह प्रचलन था गर्लफ्रैंड बनाना और यदि उनका ब्रेकअप हो जाता या उन्हें मनचाही गर्लफ्रैंड नहीं मिलती, तो वे कहतें, "सब लड़कियां एक जैसी हैं।"
क्या आपने कभी हमारे पैरों और हाथों की उंगलियों को गौर किया है? क्या वह एक जैसी होती हैं? नहीं ना? फिर भी, परिस्थितियों के अनुसार, वे अपनी एकता का प्रमाण देतीं हैं।
जहां एक ओर हमारी उंगलियों में ही इतनी विविधता है, हम स्त्री और पुरुष की बात कर रहे हैं जिनका दिमाग अलग है, सोचने का ढंग अलग है, दृष्टिकोण अलग है। फिर, वे एक जैसे कैसे हो सकते हैं?
ना सब पुरुष एक जैसे होते हैं ना ही सभी स्त्रियां एक जैसी