हिंदू धर्म के शरीर का ढांचा जाति आधारित है जैसे शरीर को खड़ा करने के लिए हड्डियों की जरूरत पड़ती है। और ब्राम्हण रीढ़ की हड्डी है।
जातिवाद खत्म किया जाएगा तो हिंदू धर्म नष्ट हो जाएगा क्योंकि सारे धर्म ग्रंथ जातिवाद का समर्थन करते हैं और इसी को मजबूत करने के लिए लिखे गए ।
पिछड़ी जातियां जिन्हें जिन्हें शूद्र कहा गया है इनके लिए कहीं-कहीं वेदों में दस्यु दास राक्षस इत्यादि का संबोधन मिलता है । और दलित जातियां वर्ण व्यवस्था से बाहर थी अर्थात अछूत थी यदि देखा जाए तो वह गैर हिंदू थे ।
अभी गैर हिंदुओं /दलित में से पुजारी चुन लिया जाए तो वह मुसलमान ईसाई जैसा ही तो होगा??
पंडित जी, आपका आक्रोश उसी श्रेणी का है
J. P. Shukla