भक्त मुझे तब बहुत क्यूट लगते हैं, जब वे कहते हैं कि पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले टैक्स से विकास के काम होते हैं। इसलिए वे जब पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ते हैं तो जश्न मनाते हैं। उनके दिमाग में यह बात ठूंस-ठूंस के भर दी गई है कि पहले गांधी परिवार सारा पैसा खा जाता था। अब विकास में लगता है। भाई अगर ऐसी बात है तो गांधी परिवार क्यों बाहर खुला घूम रहा है?
अंदर करो सब को? निकलवाओ उनके हलक से पैसा? लेकिन क्या करें, जब कुछ हो तो एक्शन भी लें। नीरव मोदी और मेहुल चोकसी तो गांधी परिवार से ताल्लुक नहीं रखते। किससे रखते हैं, यह दुनिया जानती हैं। ‘मेहुल भाई’ किसके भाई हैं, यह कौन नहीं जानता।
याद है, 2013 में कहा गया था कि स्विस बैंकों में जमा धन देश में आ जाएगा तो हर परिवार को 15-15 लाख मिलेंगे? क्यों नहीं आया पैसा स्विस बैंकों से? किस ने रोका है? 303 का समर्थन और 56 इंच सीना, तब भी नहीं निकाल पाए? इतना जरूर हो गया है कि स्विस बैंकों में भारतीयों का पैसा बढ़ गया है।
अब वो किसका पैसा है? सरकार किसकी है? क्या अब भी गांधी परिवार देश को लूट रहा है?
कहा तो यह भी गया था कि पेट्रोल 35 रुपये लीटर मिलेगा। 35 का तो नहीं मिला डबल जरूर कर दिया। अंधभक्ति में इतने अंधे हो गए हैं कि लूटमार को भी देशहित में बताने से नहीं चूकते। शर्मनाक तो यह है कि अंधभक्ति में वे लोग लीन हैं, जो तथाकथित रूप से पढ़े-लिखे लोग हैं। अच्छे पदों पर हैं। जम कर रिश्वत लेते हैं।
राम राम जपन पराया माल अपना वाली हालत हो गई है।
- Saleem Akhter Siddiqui