नई दिल्ली । लगातार दो महीनों से चल रहा किसान आंदोलन अबतक तो शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा था । लेकिन 26 जनवरी को इस आंदोलन ने अचानक हिंसक मोड़ ले लिया या साजिश के तहत हिंसा की गई जो भी हो । इसके बाद किसानों का मनोबल टूटा । राकेश टिकैत रोये । और बताया कि बीजेपी ने साजिश के तहत आंदोलन खत्म करने के लिए प्लान किया था ।
आपको बता दें कि, मंडोर1 गांव में महापंचायत में विधायक सुरेश राणा, कपिल देव अग्रवाल, संगीत सोम, विहिप की साध्वी प्राची, बाबू हुकुम सिंह, भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत और सैकड़ों भाजपा नेता शामिल हुए थे। इस महापंचायत के बाद दंगे भड़क गए थे, इनमें 65 लोगों की जान गई थी। हजारों लोग बेघर हो गए थे । एक अखबार के मुताबिक नरेश टिकैत ने मुस्लिमों के कत्ल की खुली धमकी दी थी ।
दैनिक भास्कर की खबर के अनुसार टिकैत खानदान बीजेपी का पुराना समर्थक और कट्टर भाजपाई है । टिकैत परिवार ने विश्व हिंदू परिषद, हिंदुत्ववादी संगठनों के साथ कई बड़े कार्यक्रम किये । और उनमें मुस्लिम समुदाय के खिलाफ खूब जहर उगला था । इसी के चलते राकेश टिकैत पर से सेक्युलर लोगों का भरोसा उठता चला जा रहा है । लोग असमंजस में है । आपकों बता दे कि दो दिनों से NDTV के रविश कुमार के खिलाफ भी माहौल बन रहा था । उन्होंने भी लाल किले पर निशान साहिब फहराने को गलत बताया था ।
लोग आजकल अफ़वाहों के शिकार बहुत जल्दी हो जाते है । राकेश टिकैत रोये तो सबको बुरा लग रहा है । अरे भाई मोदीजी भी तो कई बार रोये हुए है । आइए जानते है उस खबर के बारे में जो दैनिक भास्कर में प्रकाशित हुई थी ।
मुज़फ्फरनगर दंगों पर सियासत:संगीत सोम समेत तीन विधायकों के खिलाफ केस वापसी की याचिका पर समाजवादी पार्टी ने कसा तंज
मुजफ्फरनगर/लखनऊ
भाजपा विधायक संगीत सोम, सुरेश राणा और कपिल देव अग्रवाल पर आरोप हैं कि उन्होंने 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगों से पहले भड़काऊ भाषण दिए थे।
उत्तर प्रदेश सरकार ने 7 साल पहले मुजफ्फरनगर में हुए दंगे से जुड़े एक केस को वापस लेने के लिए बुधवार को ADJ कोर्ट में अर्जी लगाई। इस केस में BJP के 3 मौजूदा विधायक संगीत सोम, सुरेश राणा और कपिल देव अग्रवाल के नाम भी शामिल हैं। इन पर 7 सितंबर 2013 में नगला मंदोर गांव में भड़काऊ भाषण देने का आरोप है। केस वापस लेने की अर्जी पर सुनवाई की तारीख अभी तय नहीं हुई है। लेकिन, राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गई है।
राज्यमंत्री कपिल देव अग्रवाल ने कहा कि उस वक्त समाजवादी पार्टी की सरकार थी। सपा सरकार ने राजनीतिक बदले के लिए भाजपा नेताओं और हिंदू संगठनों के पदाधिकारियों पर केस दर्ज कराया था। ये फर्जी मुकदमे थे।
सपा का सवाल- क्या इसीलिए सरकार बनी थी?
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने कहा, कमाल है भारतीय जनता पार्टी। क्या इसी के लिए सरकार बनी थी? मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री, मंत्री या विधायक हों, सब पर लगे केस वापस ले लिए जाएंगे। क्या इससे अपराधियों का मनोबल नहीं बढ़ेगा? क्या उनको ऐसा नहीं लगेगा कि आपराधिक मुकदमे भी वापस लिए जा सकते हैं? यही वजह है कि SDM और CO की गोली मार कर हत्या कर दी जाती है। तभी यहां पुलिस वालों का एनकाउंटर होने लगा है और महिलाओं पर अत्याचार बढ़े हैं।
मुजफ्फरनगर में क्या हुआ था?
27 अगस्त 2013 को कवाल गांव में सचिन और गौरव नाम के दो युवकों की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। आरोप शाहनवाज कुरैशी नाम के युवक पर लगा था। इसके बाद 7 सितंबर 2013 को नगला मंदोर गांव के इंटर कॉलेज में जाटों ने महापंचायत बुलाई।
महापंचायत में विधायक सुरेश राणा, कपिल देव अग्रवाल, संगीत सोम, विहिप की साध्वी प्राची, बाबू हुकुम सिंह, भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत और सैकड़ों भाजपा नेता शामिल हुए थे। इस महापंचायत के बाद दंगे भड़क गए थे, इनमें 65 लोगों की जान गई थी। हजारों लोग बेघर हो गए थे। इस मामले में शीखेड़ा थाना इंचार्ज ने खुद ही नोटिस लेकर संगीत सोम, कपिल देव अग्रवाल, सुरेश राणा, साध्वी प्राची और दूसरे लोगों पर भड़काऊ भाषण देकर समुदाय विशेष के खिलाफ भड़काने का केस दर्ज कराया था।
इस तरह की इतनी पुरानी पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल क्यों हो रही है ? किसानों का मनोबल गिराने के लिए या सच्चाई सामने लाने के लिए ? कमेंट कर के जरूर बताएं ।