मीडिया ने कन्हैया कुमार को डिबेट में उनकी तार्किकता व यू ट्यूब में उनके वीडियो को लाखों लोग देखने की वजह से बड़ा हीरो बनाया। पर क्या वाकई कन्हैया कुमार हीरो हैं ? उनकी जमीनी पकड़ है? संवेदनशील ,ज्वलंत मुद्दों पर वे सड़क पर आते हैं ? जवाब है नहीं !
क्रांतिकारी उन्हें बनाया गया है। दूसरी ओर आप जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद को देखिये। उमर खालिद को पिछले साल सितंबर- अक्टूबर में उनके तार दिल्ली दंगो से जोड़ते हुए गिरफ्तार किया गया है। उन पर भी अन्य मुस्लिमों की तरह यूएपीए लगाया गया है। उमर खालिद सीधा,सरल युवा है। उन्हें लच्छेदार बातें कहने नहीं आता। वे अपने आसपास ताली बजाने ,वाहवाही करने वालों की भीड़ भी नहीं रखता था।
शायद यही वजह है कि उमर खालिद व शरजील इमाम के लिए फ्री उमर खालिद ,फ्री शरजील जैसे कैम्पेन नहीं चलाये जा रहे हैं। जबकि इनके खिलाफ गोदी मीडिया द्वारा “मीडिया ट्रायल” चलाया गया। उमर का पुलिस को दिया गया कथित बयान की मीडिया ने काफी चर्चा किया ,जिसका अदालत में उमर ने खंडन किया कि यह मेरा बयान नहीं है पुलिस की अपनी पटकथा है।
हिरासत में रहने के दौरान उसने किसी बयान पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं। कुलमिलाकर कहें तो पुलिस के हाथ अब तक खाली है। उमर को बलि का बकरा बनाया जा रहा है। अमित शाह के स्क्रिप्ट के अनुसार सब इंस्पेक्टर अरविंद कुमार ने एक इन्फॉर्मर के हवाले से कहा कि उमर खालिद ने किसी दानिश नाम के शख्स और दो अन्य लोगों के साथ मिलकर दिल्ली दंगों की साजिश रची थी।
उमर खालिद ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान नागरिकों से बाहर निकलकर सड़कें ब्लॉक करने को कहा ताकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रॉपेगैंडा फैलाया जा सके। दंगो के लिए वित्तीय मदद आदि- आदि कई आरोप उमर खालिद पर लगाए गए। लेकिन एक भी मामले में पुलिस सबूत हासिल नहीं कर सकी है। उमर के खिलाफ एक मनगढंत कहानी गढ़ी गई है,उसे ही दंगो का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है ।
असल दंगाई तो कपिल मिश्रा था जिसके खिलाफ अभी तक एक प्रकरण नहीं बनाया गया है। उमर ,शरजील जेल में इसलिए सड़ाये जा रहे हैं क्योंकि वे मुसलमान हैं। मेरा सवाल सिर्फ इतना है कि जब धर्म के आधार पर ही न्याय करना है तो अदालतों के नाम पर ढोंग क्यों? सीधे सभी सरकार विरोधी मुस्लिमों को जेल में डाल दीजिये। दूसरा सवाल क्रांतिकारियों से हैं कि क्या कन्हैया जेल में होते तब भी आप यूँ ही चुप रहते ?
विक्रम सिंह चव्हाण (लेखक स्वतंत्र पत्रकार है)