Type Here to Get Search Results !

Click

साजिश : देश ट्विटर हो गया है. देश की परेशानियां को ट्विटर का ट्रेंड बना दिया

साजिश देश ट्विटर हो गया है. देश की परेशानियां को ट्विटर का ट्रेंड बना दिया
यह देश ट्विटर हो गया है. देश की परेशानियां ट्विटर का ट्रेंड बना दी गई हैं. दुखद यह है कि आदमी की जिंदगी न ट्विटर हुई, न ट्विटर का ट्रेंड हो पाई. सोनिया गांधी ने एक दिन ट्वीट किया और दिन भर ट्रेंड होकर मामला खतम हो गया. लेकिन वह ट्विटर ट्रेंड जिनके लिए था, उनकी परेशानियां ट्रेंड की तरह दो घंटे बाद खतम नहीं हुईं.

लॉकडाउन के 43 दिन बीत गए हैं. मजदूरों की समस्या खतम नहीं हुई है. खाना बांटने से लेकर ट्रेन चलाने का पाखंड पूरा हो चुका है. मुंबई से झुंड के झुंड मजदूर गठरियां लादे हुए आज अपने घरों के लिए निकले हैं. इनमें छोटे छोटे बच्चे हैं, बूढ़ी महिलाएं हैं. पांच महीने का बच्चा गोद में लिए, सिर पर गठरी लादे महिला मध्य प्रदेश जा रही है. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड आदि राज्यों के लिए लोग निकले हैं. हाईवे पर लोगों का रेला है. एनडीटीवी ने आज सुबह रिपोर्ट किया है. रिपोर्टर ने पूछा, आप क्यों जा रहे हैं? जवाब मिला, सब करके देख लिया, कोई मदद नहीं कर रहा है. और कोई रास्ता नहीं है.

सरकारें घोषणाएं भी कर चुकी हैं, उनकी जय जय भी हो चुकी है. कांग्रेस और बीजेपी ने अपने अपने खाते की वाहवाही लूट चुके हैं. बस जनता की समस्या की जस की तस है. जो स्पेशन ट्रेन चलाई गई है, उनमें तमाम मजदूरों का रजिस्ट्रेशन ही नहीं हो पा रहा है, प्राइवेट सवारियां दो हजार, चार हजार रुपये मांग रही हैं. जब सरकारें तक वसूली कर रही हैं, तो प्राइवेट से क्या गिला करना? लोग हजारों किलोमीटर पैदल चलकर अपने घर पहुंचेंगे. रास्ते में जिंदा बचेंगे कि मरेंगे, यह अब ईश्वर जाने.

आज ही बीबीसी ने रिपोर्ट किया है कि केंद्र ने तो कह दिया है कि हम ट्रेन चला रहे हैं, यही हमारा 85 फीसदी का योगदान है. बाकी राज्य देख लें. कांग्रेस और बीजेपी शासित राज्यों से लोग पैसे देकर अपने घर पहुंचे हैं. वे तकदीर वाले थे कि उन्हें पैसे देकर ट्रेन मिल गई. एक मजदूर ने कहा, जिनके पास पैसा है, उनकी मदद की जा रही है. हमारे पास पैसा नहीं है तो हम पैदल जा रहे हैं.

लेकिन झूठ ट्रेंड करवा कर, महामानवों की जय जय करके ट्विटर ट्रेंड बंद हो चुके हैं. अब इन गरीब लोगों की समस्यों की बात कौन करे? फोटो: एनडीटीवी पर सोहित मिश्रा ने रिपोर्ट किया है कि पैदल चलने वालों में एक गर्भवती मां भी है जो अपने दो छोटे बच्चों को गोद में लिए अपने घर जा रही है.

यह है सबसे बड़ी समस्या
लॉकडाउन के दौरान अप्रैल में 9.1 करोड़ छोटे व्यापारियों और दिहाड़ी मज़दूरों का रोज़गार छिन गया है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि देश में पिछले एक हफ्ते में बेरोज़गारी दर बढ़कर अप्रत्याशित रूप से 27.1 % हो गई है. 2019-20 में छोटे व्यापारियों और दिहाड़ी मज़दूरों में औसतन 12.8 करोड़ के पास रोज़गार था. अप्रैल 2020 में ये गिरकर सिर्फ 3.7 करोड़ तक सीमित रह गया यानी लॉकडाऊन के दौरान अप्रैल में 9.1 करोड़ का रोज़गार छिन गया. कुल औसत रोजगार देखें तो 2019-20 के दौरान यह 40.4 करोड़ था जो अप्रैल 2020 में 30% गिरकर 28.2 करोड़ रह गया यानी 12.2 करोड़ रोज़गार घट गया है.
-कृष्ण कान्त

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad

Hollywood Movies