Type Here to Get Search Results !

Click

LockDown : ये रहा देशभर में मुस्लिमों का योगदान,गोदी मीडिया ने साजिशन छिपाया

ये रहा देशभर में मुस्लिमों का योगदान,गोदी मीडिया ने साजिशन छिपाया
नई दिल्ली : मीडिया वालों अभी तुम्हारा और काम बचा है इतनी नफरत फैलाने के बाद भी अभी तक तुम कामयाब होते नजर नहीं आ रहे हो दो चार दरिंदों को छोड़ दीजिए । जयपुर के 36 वर्षीय राजेंद्र बागड़ी की मौत कैंसर के चलते हो गई थी. वो एक मुस्लिम बाहुल्य इलाके में रहते हैं. लॉकडाउन के चलते उनके रिश्तेदार अंतिम यात्रा में शामिल नहीं हो सके. राजेंद्र के चचेरे भाई को समझ नहीं आया कि लाश को कंधा कौन दे. ऐसे में उनके पड़ोसी मुस्लिम आगे आए. उन्होंने अर्थी हांडी के साथ शमशान घाट तक की 4 किलोमीटर की यात्रा पूरी की.

वैश्विक प्रकोप कोरोना के कठिन दिनों के दौरान, नफरत के कुछ व्यापारी मीडिया चैनलस और व्हाट्सएप विश्वविद्यालय मनगढ़ंत कहानियों की बाढ़ के माध्यम से सक्रिय हो गए, जिसने मानवता की कई आकर्षक छवियों को छिपा दिया। ज़रूरी है के इन सच्चाइयों की झलकियां अधिक तेज़ी से जनता तक पहुचाई जाएं।

1) मुंबई की उच्च शिक्षित धार्मिक महिला, निकहत मुहम्मदी, लॉकडाउन के दौरान एक लाख 100,000 वंचित लोगों को खिला रही है। वह चाहती है कि इस कठिन समय में कोई भी भूखा न रहे। और वे अपनी पहोंच को पाँच लाख तक विस्तारित करना चाहती हैं। सभी की भावनाओं का सम्मान करते हुए, यहां केवल शाकाहारी भोजन तैयार किया जाता है। (ईटीवी इंडिया की रिपोर्ट)

2) हैदराबाद में जमात-ए-इस्लामी हिन्द और उससे जुड़े संगठनों ने लॉकडाउन के दौरान सभी चिकित्सा और प्रबंधन सिद्धांतों का पालन करते हुए, सर्वेक्षण के माध्यम से अपने घरों में सबसे ज़्यादा वंचित लोगों की पहचान की, और इस तरह से एक महीने का राशन इस तरह पहूंचाया के देने वाले का नफ़्स भी मोटा न ही और लेने वाले कि खुद्दारी को भी ठेस न पहोंचे। इस मिशन के रूहे रवां मुनीरुद्दीन और उनकी टीम की मेहनतें लाजवाब हैं। जो अब तक डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक का सहकार्य कर चुके हैं।

3) मुंबई के सलीम कोडिया बिना किसी धार्मिक भेदभाव के 11,000 लोगों के खाने का इंतज़ाम कर रहे हैं। (Maeeshat.in - 7 अप्रैल)

4) दिल्ली में जमात-ए-इस्लामी हिंद के स्वयंसेवक दंगा राहत कार्य के साथ-साथ लॉकडाउन रिलीफ की डबल ड्यूटी निभा रहे हैं।शुरुआती दस दिनों में 21 हजार लोगों को मदद की है।

5) जमात-ए-इस्लामी महाराष्ट्र अपने व्यापक नेटवर्क के माध्यम से 250 शहरों में कार्य कर रहा है और असंख्य परिवारों का सहारा बना है। (लोकमत समचार -02 अप्रैल)

6) कोलार के तजम्मुल और मुज़म्मिल औसत परिवार से संबंध रखते हैं। इस कठिन समय में लोगों की असहायता उनके द्वारा देखी नहीं गई और उन्होंने अपनी जमीन 25 लाख रुपये में बेच दी और 2000 वंचितों के लिए अनाज का बिना किसी धार्मिक भेदभाव के बंदोबस्त किया। (दैनिक सलार - 13 अप्रैल)

7) तालाबंदी के दौरान, जब कोई भी आनंद विहार, बुलंद शहर में रवि शंकर की अर्थी उठाने के लिए आगे नहीं आया तो गांव के बुजुर्ग महमूद साहब और उनके साथ के लड़कों ने ये काम अंजाम दिया (द वायर - 29 मार्च)। इसी तरह की एक घटना बांद्रा में हुई जहां प्रेम चंद महावीर का अंतिम संस्कार यूसुफ सिद्दीकी शेख और उनके दोस्तों द्वारा किया गया और डॉक्युमेंटेशन और आवश्यक कार्रवाई भी की। (डेक्कन हेराल्ड, मुंबई - 9 अप्रैल)

8) नागपुर के आसिफ शेख ने एक कम लागत वाली सैनिटाइजिंग मशीन विकसित की और प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को उत्कृष्ट राहत प्रदान की। (TNN-Nagpur रिपोर्ट)

मंडासुर के निहारो खान ने भी कुछ अनोखा किया और अस्पताल को एक मूल्यवान उपहार दिया। जिस पर एक राष्ट्रीय चैनल द्वारा एक विस्तृत प्रशंसा रिपोर्ट प्रसारित की गई और इसे एक अद्भुत आविष्कार कहा गया। (एबीपी न्यूज)

9) अज़ीम हाशिम प्रेम जी, कोरोना संकट से निपटने के लिए दान में कुल 1125 करोड़ रुपये दिए दान देने वालो में दूसरा सबसे बड़ा नाम है।

10) इस राष्ट्रीय संकट में दवा, फार्मासूटिकल के मोर्चे पर देश की उम्मीदें यूसुफ हमीद और उनकी सिपला कंपनी के अनथक संघर्ष से जुड़ी हैं, जिन्होंने पिछले संक्रामक रोगों और अन्य घातक बीमारियों के लिए प्रभावी और सस्ती दवाओं के साथ देश को आशीर्वाद दिया है। (टाइम्स ऑफ इंडिया - 21 मार्च)

11) बैंगलोर में रियाज़, अब्दुल रहीम और ग्लोबल स्कूल के अन्य शिक्षक लॉकडौन के दौरान 2,000 लोगों का लंगर अपनी आमदनी से चला रहे है। (न्यूज 18 की रिपोर्ट)

12) इस संकट में, सबसे ज़्यादा मुस्तहिक़ वंचित लोगों की पहचान करना सबसे मुश्किल काम है। खुद्दार वंचित लोगों तक पहोंच सबसे बड़ी चुनौती है। इस कार्य को आसान कर दिए अशहर फरहान (मुख्य निर्माता) और हैदराबाद के श्रीधर ने। उनकी वेबसाइट चुपचाप दाताओं और वंचितों को जोड़ने का काम रही है, और सेवा मुफ्त है। (तेलंगाना टुडे - 14 अप्रैल)

ये केवल कुछ हाइलाइट हैं। बहुत सारी ऐसे नायाब सच्चाइयां हैं जिनकी खुशबू को नफरत की उबलती गलाज़त बहा कर ले जारही है। आशा है समय के साथ साथ अगले कुछ महीनों में, ऐसी हजारों मानवतावादी तस्वीरें सामने आएंगे, जो अंततः नफरत की गलाज़त का मुंह बंद कर देने का कारण बनेगी।
(संकलन,: शुजाअत हुसैनी, अनुवाद: मो शफ़ी फ़ारूक़ी)

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad

Hollywood Movies