जिस तरह से पिछले कुछ सालों में मॉब लिंचिग की आदत एक खास वर्ग के लोगों को लगी है ,ये सोचने वाली गंभीर बात है ! लोगों में किसी खास समुदाय के लिए अचानक से नफरत नहीं जाग जाता है ! बल्कि उस नफरत को जायज ठहराने के लिये लगातार बातें की जाती है ,तर्क गढ़े जाते हैं!
आदिवासी समाज जब से शिक्षित हुआ है, इस तरह से अपने लोगों की हत्या कम हुई है ! लेकिन शोसल मीडिया में एक बड़ा शिक्षित तबका आदिवासी लडकियों के खिलाफ नफरत फैलाने में जी जान से जुटा है और लडकियों को अपराधी, दोषी और आदिवासी विरोधी घोषित करने में लगा हुआ है ! ये चिंता जनक है ! हाल में घटी कुछ घटनाएं (बोकारो प्रकरण, गोड्डा हत्या कांड,देवघर हत्या कांड, टीक टॉक में एक लड़की की शक्ल संतालो जैसे न दिखने का विवाद ) लगातार आदिवासी लडकियों के साथ घट रही है !
गोड्डा में एक लड़की की हत्या पर जिस प्रकार आदिवासी समाज ने उस लड़की की अर्ध नग्न तस्वीर के साथ उसका चरित्र हनन करने का दुस्साहसिक कुकृत्य किया है ये हल्की-फुल्की बात नहीं है ! हालांकि आदिवासी महिला एकता मंच दुमका ने इस घृणित काम को अंजाम देने वाले सरकारी कर्मचारी को तत्काल पोस्ट डिलीट करने की चेतावनी देकर छोड़ दिया है !
-लेखिका रजनी मुर्मू सामाजिक कार्यकर्ता