मोदी का चेहरा मुरझा गया था,माफ़ी मांग रहे थे।अमित शाह छुप गया था।टीवी चैनल के एंकर मज़दूरों की खबर मज़बूरी में दिखा रहे थे।चेहरा एकदम लटक गया था,लग रहा था बस रो देंगे।रुबिका तो मना ही कर दी थी अन्नदाता के खिलाफ अब एक और शब्द नहीं बोलूंगी।अंजना भोजपुरी बोलने लगी थी।कुछ अंताक्षरी खेलने लगे थे।सबकुछ उल्टा पुल्टा हो रहा था।आईटी सेल भी एक मुल्ला ढूढ़कर नहीं ला पा रहे थे।लेकिन देखिये क्या छप्पर फाड़कर मुल्ला मिले हैं,एक दो नहीं हज़ारों।अब तो मज़दूरों की भूख में मरने की वजह भी मुल्ला!कश्मीर से लेकर केरल तक कोरोना फ़ैलाने की वजह भी मुल्ला!देश की इकोनॉमी को 21 साल पीछे ले जाने की वजह भी मुल्ला!मैं तो कहता हूं मुल्लों को एक कोरे कागज पर हस्ताक्षर कर दे देना चाहिए भारत में आगे आने वाले सालों में जितना बुरा होगा सबके जिम्मेदार हम होंगे!
-Vikram Singh Chauhan (सवतंत्र बेबाक पत्रकार है)