N R C भारतीय रजिस्टर्ड नागरिक जिसका उल्लेख भारतीय संविधान में निम्नलिखित है
की संविधान के अनुच्छेद 326 में मताधिकार दिया गया जिसके लिए N P R नंबर लागू किया गया। जो हमारे मताधिकार के दस्तावेज वोटर आईडी कार्ड पर अंकित किया गया. जब भारत में पहली बार 1952 में भारतीय समाज ने वोटर आईडी कार्ड से मताधिकार का प्रयोग किया उन्हें ये मताधिकार नागरिकता के आधार पर ही मिला ।
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अब सोचने वाली बात यह है कि 70 साल बाद पुनः नागरिकता देने का क्या अभिप्राय है ? हमें जो समझ में आ रहा है कि, कुछ लोग लोकतंत्र के विरोधी हैं । जो गणराज्य की स्थापना नहीं चाहते वो रजवाड़ों की सत्ता चाहते हैं । जो 1947 से पूर्व स्थापित थी, जिसमें चंद लोग अपनी मनमानी से तानाशाही करते थे, बाकि समाज को मजबूरन उनकी तानाशाही को झेलना पड़ता था
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भारत में पेशवाई शासन रहा या मुगल शासन रहा दोनों ही समाज के प्रति क्रूर और तानाशाह रहे । उनके साथ ब्रिटिश लोगों ने भारत में विकास करने के नाम पर शासन किया । यानि पेशवा मुगल अंग्रेज तीनों बाहरी थे
यानि भारतीय नहीं ।
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इसी लिए भारतीय समाज में आजादी की ज्वाला भड़की और लोकतंत्र के आधार पर गणराज्य स्थापित करने का आंदोलन शुरू हुआ । जिसमें भारतीय समाज की जीत हुई, और भारत में लोकतंत्र के आधार पर गणराज्य स्थापित करने के उद्देश्य से भारतीय संविधान की रचना की गई, 26 नवम्बर 1949 को भारतीय संविधान संपूर्ण कर भारतीय संसद में पेश किया गया । जिसे 26/1/1950 को लागू किया गया ।
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लेकिन इन 70 सालों में भारतीय समाज लोकतांत्रिक तरीके से गणराज्य स्थापित नहीं कर पाया, जिसका कारण - जो लोग रजवाड़ों के शासक थे, उन्होंने धनबल और बाहुबल से मताधिकार के इस्तेमाल को ईमानदारी और निष्क्षता से नहीं होने दिया । कभी बूथ कैप्चरिंग तो अब ईवीएम
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लेकिन अब जब भारतीय समाज बूथ कैप्चरिंग और ईवीएम की लूट के विरोध में एकजूट होने लगा । तो इन चंद लोगों ने सीधा मताधिकार ही खत्म करने का चकरव्यूह रचा की N R C के बहाने भारतीय समाज के मताधिकार को ही समाप्त कर दिया जाए । जिसका विरोध होना बेहद जरूरी है । कुछ लोग भारत को मनु की गैर बराबरी की सोच का हिन्दुस्तान बनाने पर आमदा हैं तो पूरा भारतीय समाज संविधानवादी विकसित राष्ट्र बनाने का आकांक्षी है ।
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हम सामाजिक क्षेत्र में लंबे अरसे से कार्यरत हैं । हमें भारतीय राजनीति में मजबूरन आना पड़ा, क्योंकि हम भारत को लोकतांत्रिक आधार पर गणराज्य बनाने की से संविधानवादी राष्ट्र बनाना चाहते हैं । इसीलिए हमने
संविधानवादी राष्ट्रनिर्माण आन्दोलन शुरू किया ।
एस एल खैरालिया
की संविधान के अनुच्छेद 326 में मताधिकार दिया गया जिसके लिए N P R नंबर लागू किया गया। जो हमारे मताधिकार के दस्तावेज वोटर आईडी कार्ड पर अंकित किया गया. जब भारत में पहली बार 1952 में भारतीय समाज ने वोटर आईडी कार्ड से मताधिकार का प्रयोग किया उन्हें ये मताधिकार नागरिकता के आधार पर ही मिला ।
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अब सोचने वाली बात यह है कि 70 साल बाद पुनः नागरिकता देने का क्या अभिप्राय है ? हमें जो समझ में आ रहा है कि, कुछ लोग लोकतंत्र के विरोधी हैं । जो गणराज्य की स्थापना नहीं चाहते वो रजवाड़ों की सत्ता चाहते हैं । जो 1947 से पूर्व स्थापित थी, जिसमें चंद लोग अपनी मनमानी से तानाशाही करते थे, बाकि समाज को मजबूरन उनकी तानाशाही को झेलना पड़ता था
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भारत में पेशवाई शासन रहा या मुगल शासन रहा दोनों ही समाज के प्रति क्रूर और तानाशाह रहे । उनके साथ ब्रिटिश लोगों ने भारत में विकास करने के नाम पर शासन किया । यानि पेशवा मुगल अंग्रेज तीनों बाहरी थे
यानि भारतीय नहीं ।
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इसी लिए भारतीय समाज में आजादी की ज्वाला भड़की और लोकतंत्र के आधार पर गणराज्य स्थापित करने का आंदोलन शुरू हुआ । जिसमें भारतीय समाज की जीत हुई, और भारत में लोकतंत्र के आधार पर गणराज्य स्थापित करने के उद्देश्य से भारतीय संविधान की रचना की गई, 26 नवम्बर 1949 को भारतीय संविधान संपूर्ण कर भारतीय संसद में पेश किया गया । जिसे 26/1/1950 को लागू किया गया ।
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लेकिन इन 70 सालों में भारतीय समाज लोकतांत्रिक तरीके से गणराज्य स्थापित नहीं कर पाया, जिसका कारण - जो लोग रजवाड़ों के शासक थे, उन्होंने धनबल और बाहुबल से मताधिकार के इस्तेमाल को ईमानदारी और निष्क्षता से नहीं होने दिया । कभी बूथ कैप्चरिंग तो अब ईवीएम
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लेकिन अब जब भारतीय समाज बूथ कैप्चरिंग और ईवीएम की लूट के विरोध में एकजूट होने लगा । तो इन चंद लोगों ने सीधा मताधिकार ही खत्म करने का चकरव्यूह रचा की N R C के बहाने भारतीय समाज के मताधिकार को ही समाप्त कर दिया जाए । जिसका विरोध होना बेहद जरूरी है । कुछ लोग भारत को मनु की गैर बराबरी की सोच का हिन्दुस्तान बनाने पर आमदा हैं तो पूरा भारतीय समाज संविधानवादी विकसित राष्ट्र बनाने का आकांक्षी है ।
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हम सामाजिक क्षेत्र में लंबे अरसे से कार्यरत हैं । हमें भारतीय राजनीति में मजबूरन आना पड़ा, क्योंकि हम भारत को लोकतांत्रिक आधार पर गणराज्य बनाने की से संविधानवादी राष्ट्र बनाना चाहते हैं । इसीलिए हमने
संविधानवादी राष्ट्रनिर्माण आन्दोलन शुरू किया ।
एस एल खैरालिया