Type Here to Get Search Results !

Click

पुरोहित-साध्वी प्रज्ञा पर आतंकी साजिश का आरोप तय

सोमवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने पुरोहित और प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ आरोप तय करने की प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. फिलहाल दोनों आरोपी जमानत पर चल रहे हैं.

मालेगांव धमाका मामले में सात आरोपियों पर आतंकवाद की साजिश रचने का आरोप तय किया गया है. एनआईए कोर्ट ने आरोपियों पर हत्या और अन्य अपराध का आरोप भी दर्ज किया है. यूएपीए और आईपीसी की धाराओं के तहत इन पर मुकदमा चलेगा.

इससे पहले सोमवार को बॉम्बे हाईकोर्ट ने कर्नल पुरोहित की उनके खिलाफ आरोप तय करने की प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. कर्नल पुरोहित, साध्वी प्रज्ञा समेत सभी आरोपियों पर मंगलवार को आरोप तय किए गए.


अपने फैसले में सेशन जज वीएस पडलकर ने कहा, सभी आरोपियों पर अभिनव भारत संस्था बनाने और 2008 में मालेगांव धमाका करने का आरोप लगाया जाता है जिसमें 6 लोग मारे गए थे. जिन 7 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय हुए, उनके नाम हैं-साध्वी प्रज्ञा, रमेश उपाध्याय, समीर कुलकर्णी, ले.क. पुरोहित, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और अजय राहिरकर.

हालांकि सभी आरोपियों ने अपने पर लगे आरोपों से इनकार किया है. आरोपी सुधाकर चतुर्वेदी ने कहा कि 'सभी आरोप बेबुनियाद हैं. सुप्रीम कोर्ट पहले ही कह चुका है कि अभिनव भारत आतंकी संस्था नहीं है.' इस मामले में अगली सुनवाई 2 नवंबर को होगी.

आरोपी पुरोहित ने एनआईए के उस फैसले को कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें उसे गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत आरोपी बनाया गया है. मालेगांव धमाका मामले में साध्वी प्रज्ञा समेत सात आरोपियों को अप्रैल 2017 में बॉम्बे हाईकोर्ट जमानत मिल गई थी. आरोपी प्रज्ञा ठाकुर को 5 लाख के निजी मुचलके पर जमानत मिली थी.

महाराष्ट्र में नासिक जिले के मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को खौफनाक बम धमाका हुआ था. उस धमाके में 7 बेगुनाह लोगों की जान चली गई थी, जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. ये धमाका रमजान के माह में उस वक्त किया गया था, जब मुस्लिम समुदाय के बहुत सारे लोग नमाज पढ़ने जा रहे थे. इस धमाके के पीछे कट्टरपंथी हिंदू संगठनों का हाथ होने का आरोप लगा था. इसमें साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित का नाम सामने आया था.

पुरोहित ने कोर्ट की निगरानी में एसआईटी जांच की मांग की है. उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि उन्हें मालेगांव धमाका मामले में जानबूझ कर फंसाया गया है क्योंकि वो आईएस और सिमी जैसे प्रतिबंधित संगठनों के पीछे कौन है, इसकी जांच कर रहे थे. इतना ही नहीं, उन्होंने आर्मी रिपोर्ट को भी याचिका में संलग्न किया है जिसमें वो अपने काम का सारारा दे रहे थे. पुरोहित ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी और यूएपीए के तहत अपने ऊपर लगे आरोपों को चुनौती दी थी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने उस वक्त ट्रायल कोर्ट की धाराएं हटाने का आदेश देने से इनकार कर दिया था. तब कोर्ट ने पुरोहित से कहा था कि ट्रायल कोर्ट में आरोप तय होते समय अपनी मांग रखनी चाहिए.

पुरोहित को 21 अगस्त 2017 को सुप्रीम कोर्ट की ओर से जमानत मिली थी. कर्नल पुरोहित पिछले 9 साल से जेल में बंद चल रहे थे. जमानत पर जिरह के दौरान उनके वकील ने अदालत से कहा था कि पुरोहित के खिलाफ मकोका के तहत आरोप हटा दिए गए हैं, इसलिए पुरोहित अंतरिम जमानत के हकदार हैं. जबकि एनआईए ने पुरोहित की इस दलील का विरोध करते हुए कहा था कि उनके खिलाफ सबूत हैं जो आरोप तय करने में मददगार होंगे.

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad

Hollywood Movies